फरवरी 2019 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index Of Industrial Production) या आईआईपी (IIP) बढ़ने की दर केवल 0.1% दर्ज की गयी।
यह पिछले 20 महीनों में आईआईपी का सबसे निचला स्तर है। फैक्ट्री सेक्टर में मंदी के कारण जून 2017 में आईपीआई दर 0.3% रही थी। फरवरी 2019 में विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के कारण औद्योगिक उत्पादन को झटका लगा।
इससे पहले आआईपी जनवरी 2019 में 1.7% और फरवरी 2018 में 6.9% रही थी। वहीं वित्त वर्ष 2018-19 की अप्रैल-फरवरी अवधि में आईपीआई दर 4% रही, जो इससे पिछले कारोबारी साल की समान अवधि में 4.3% दर्ज की गयी थी।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी किये गये आँकड़ों के मुताबिक जनवरी में विनिर्माण क्षेत्र में महज 0.3% की वृद्धि दर्ज की गयी, जो पिछले साल की समान अवधि में 8.4% रही थी। वहीं विद्युत उत्पादन ग्रोथ 1.2% और खनन क्षेत्र ग्रोथ 2% रही। इसके अलावा साल दर साल आधार पर उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु उत्पादन में 4.3% और उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तु उत्पादन में 4.3% की बढ़त हुई।
जानकारों के अनुसार कई क्षेत्रों में उत्पादन की कमी के चलते आईआईपी में गिरावट आयी है। गौरतलब है कि आईआईपी का किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में बहुत महत्व होता है। क्योंकि इससे देश की अर्थव्यवस्था में औद्योगिक वृद्धि का पता चलता है। (शेयर मंथन, 13 अप्रैल 2019)