भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2024-25 की सितंबर 2024 को समाप्त दूसरी तिमाही में अनुमान से काफी कम 5.4% रही। यह जानकारी शुक्रवार (29 नवंबर) को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आँकड़ों से मिली है। यह 6.5 प्रतिशत के सर्वसम्मत अनुमान से काफी कम है।
देश के आर्थिक विकास को विनिर्माण और खनन की धीमी वृद्धि के साथ-साथ सरकारी खर्च की लगातार सुस्त रफ्तार और कमजोर निजी खपत ने प्रभावित किया है। देश की जीडीपी वृद्धि अप्रेल से जून तिमाही में 6.7% थी, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में 8.1% रही थी। कुल सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) उत्पादन के 17% से अधिक वाले विनिर्माण क्षेत्र, में जुलाई-सितंबर तिमाही में केवल 2.2% की बढ़त हुई, जबकि अप्रैल-जून में इसमें 7% की वृद्धि दर्ज की गयी थी और पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 14.3% रही थी।
खनन और उत्खनन क्षेत्र पर लंबे समय तक बारिश का बहुत बुरा असर पड़ने की वजह से जुलाई-सितंबर तिमाही में इसमें 0.1% की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि पिछली तिमाही में यह 7.2% और एक साल पहले की अवधि में 11.1% की वृद्धि हुई थी।
प्राथमिक क्षेत्रों में कृषि ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा, जिसमें जुलाई-सितंबर में 3.5% की वृद्धि हुई। पिछली तिमाही में यह 2% और एक साल पहले की समान अवधि में 1.7% वृद्धि थी। निर्माण क्षेत्र में दूसरी तिमाही में 7.7% की बढ़त दर्ज की गई, जो पिछली तिमाही के 10.5% और एक साल पहले की समान अवधि के 13.6% से कम है।
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सेवा क्षेत्र में पिछली तिमाही के 7.2% के मुकाबले अनुमान से कम 7.1% बढ़त रही। इसमें एक साल पहले की समान अवधि में 6% वृद्धि रिकॉर्ड की गयी थी। उपभोग माँग का सूचक निजी अंतिम उपभोग खर्च जुलाई से सितंबर के बीच 6% बढ़ कर 24.82 लाख कराेड़ रुपये हो गया, जबकि पहली तिमाही में इसमें 7.4% और एक वर्ष पूर्व 2.6% की वृद्धि हुई थी।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने कहा कि विनिर्माण और खनन में 'सुस्त वृद्धि' के बावजूद पहली छमाही में वृद्धि 6.2% रही। मंत्रालय के बयान में कहा गया है, “वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में ‘विनिर्माण’ (2.2%) और ‘खनन एवं उत्खनन’ (-0.1%) क्षेत्रों में धीमी वृद्धि के बावजूद, पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में वास्तविक जीवीए ने 6.2% की वृद्धि दर्ज की है।”
भारतीय रिजर्व बैंक ने जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी वृद्धि 7% रहने का अनुमान जताया था। यह दो साल के निचले स्तर के करीब यानी 2022 के बाद सबसे कम है। भारतीय रिजर्व बैंक ने अक्टूबर में अपनी पिछली मौद्रिक नीति बैठक के बाद कहा था कि कृषि का मुख्य क्षेत्र लचीला बना रहा है और अनुमान से बेहतर वर्षा और जलाशयों के मजबूत स्तर की वजह से इसके बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।
(शेयर मंथन, 29 नवंबर 2024)
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