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विदेश में नौकरी के सपने दिखाकर युवाओं को बना रहा साइबर स्‍लेव अंतरराष्ट्रीय माफिया 

देश में बढ़ते साइबर अपराध सिर्फ आर्थिक रूप से चोट नहीं पहुँचाते बल्कि, कई बार इसमें जान पर भी बन आती है। वहीं, अब कुछ ऐसे भी जालसाजी के मामले सामने आ रहे हैं जिनमें विदेश में नौकरी और अधिक रुपये कमाने की चाहत रखने वालों को शिकार बनाया जा रहा है।

ये साइबर माफिया नौकरी दिलाने वाली वेबसाइट पर अपनी सीवी डालने वाले युवाओं को साइबर स्लेव (गुलाम) बना रहे हैं। दरअसल, ये लोग एक पैटर्न पर काम करते हैं। पहले युवाओं को चिह्नित करते हैं और फिर वॉट्सऐप, टेलिग्राम, इंस्टाग्राम या फिर फेसबुक के जरिये उनसे संपर्क करने की कोशिश करते हैं। उनसे संपर्क हो जाने पर वे उन्हें विदेश जाने और मोटी कमाई के सपने दिखाने लगते हैं। कुछ युवा उनके जाल में फँस जाते हैं और उनके बुलाने पर थाईलैंड आदि जगहों पर चले जाते हैं। लेकिन वहाँ जाकर वे खुद को और गहरे दलदल में फँसा हुआ पाते हैं। वहाँ से उन्हें म्यांमार बुलाकर गुलाम  बना लिया जाता है और साइबर फ्रॉड करवाया जाता है। गलत काम में सम्मिलित होने से मना करने पर उन्हें तरह-तरह की यातनायें दी जाती हैं और धमकाया भी जाता है।

विदेश में नौकरी की इच्छा रखने वालों को पता ही नहीं चलता है कि कब वे साइबर स्लेव बन गये। ऐसे ही कुछ युवा साइबर अपराधियों के चंगुल से म्यांमार से बच निकले और भारत लौटने के बाद उन्होंने बताया कि किस तरह से वे उनके जाल में फँसे थे। गोंडा के एक युवक का कहना था कि होटल मैनेजमेंट के बाद उसने एमबीए किया और फिर गोंडा में ही एक होटल में 40 हजार रुपये में मैनेजर की नौकरी लग गयी। इसके कुछ दिनों बाद उसने अपना सीवी लिंकडइन व अन्य जॉब साइट्स पर अपलोड किया था। वह और भी अच्छी नौकरी की तलाश में था। इसी बीच उसे कॉल कर म्यांमार के बड़े होटल में जॉब का ऑफर दिया गया और बताया गया कि सैलरी एक लाख रुपये होगी। युवक ने इस पर तुरंत भरोसा कर लिया।

जब वह भारत से म्यांमार पहुँचा तो एक होटल में उसका कई भाषा में इंटरव्यू लिया गया। चूंकि, उनका एक्सेंट अमेरिकी इंग्लिश से मैच कर रहा था तो उसे सिलेक्ट कर लिया गया। वह खुश था कि अब उसका चुनाव हो गया है और उसे अच्छी सैलरी मिलेगी। लेकिन उसे होटल न भेजकर एक कॉलोनी में ले जाकर साइबर स्लेव बना दिया गया। उसको काम दिया गया कि वह अमेरिकी नागरिकों से फ्रॉड करे। युवक का कहना था कि गलती होने पर उससे फाइन भी वसूला जाता था और काम न करने पर उसे यातनायें दी जाती थीं। जब से ऐसे मामले सामने आये हैं, पुलिस सक्रिय हुई है और साइबर गैंग्स के बारे में और जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही है, ताकि ऐसे अपराधों पर लगाम लगायी जा सके।

(शेयर मंथन, 17 मार्च 2025)

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