
शेयर बाजार के उतार चढ़ाव से निवेशकों के मन में कई सवाल खड़े रहे हैं, जैसे क्या बाजार बोतल बना चुका है? क्या बाजार में निवेश करने का ये सही समय है? क्या सिर्फ चुनिंदा शेयरों में निवेश करने से फायदा होगा? क्या आरबीआई अपने रुख में कोई बदलाव करेगा?
इस समय ज्यादातर बाजार विशेषज्ञ शेयर बाजार में निवेश करने की सलाह दे रहे हैं। उनके मुताबिक कई अच्छे और मजबूत शेयर इस समय आकर्षक मूल्यांकन पर आ गये हैं और इनमें लंबी अवधि में निवेश पर मोटा मुनाफा कमाने का मौका है। उनका ये भी कहना है कि बाजार की मौजूदा स्थिति से घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि ये बाजार की प्रवृत्ति है और इसमें इस तरह की गिरावट आती रहती है।
लेकिन क्या इन सवालों के जवाब देना क्या वाकई इतना आसान है। वो भी तब जब बाजार गिरावट के सारे रिकॉर्ड तोड़ रहा है। लोग आज देखते हैं कि बाजार चढ़ रहा है लेकिन अगले दिन फिर गिर जाता है। विदेशी निवेशकों की बिकवाली निरंतर जारी है। और एक सवाल ये भी कि आखिर कब तक घरेलू निवेशक बाजार को संभालते रहेंगे? इन सवालों के क्रम में सबसे पहले सवाल का जवाब मोतीलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट के जरिये तलाशने की कोशिश करते हैं।
1) क्या बाजार आधार बना चुका है?
एक नहीं कई कारण इशारा कर रहे हैं कि बाजार में गिरावट का दौर खत्म होने वाला है या खत्म हो चुका है और अब वो संभलने की कोशिश कर रहा है। हालाँकि रिपोर्ट ये कहती है कि अब बाजार में गिरावट तभी आयेगी जब कुछ बड़ा और नकारात्मक कारक बाजार पर हावी होगा।
और गिरने की बात तो दूर, वित्त वर्ष 2025 में कंपनियों ने जिस तरह के नजीते पेश किये हैं उसे देखकर ये कहना गलत नहीं होगा कि नये वित्त वर्ष 2025-26 में देश में दोहरे अंकों में वृद्धि दिखायी दे सकती है। लेकिन बाजार की गिरावट को देखकर इस बात पर सहज भरोसा करना मुश्किल लगता है। तो आपको जानकर हैरानी होगी कि ये सवाल ही अपने आप में जवाब है, क्योंकि बाजार बीते 5 महीनों से गिर रहा है, और अभी बीते 2-1 दिन से संभलने की कोशिश कर रहा है। इस गिरावट के कारण लार्ज कैप शेयरों का भाव काफी गिर चुका है और अब वो काफी अच्छी कीमत पर मिल रहे हैं। ऐसे माहौल में जब लोग खरीदारी करेंगे तो शेयर मार्केट चढ़ेगा और साथ में देश की अर्थव्यवस्था भी। इस ग्रोथ स्टोरी में सरकार की नीतियाँ माँग को बढ़ाने का काम करेंगी।
सितंबर 2024 से अब तक निफ्टी 16% गिर चुका है। इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली है। पिछले साल सितंबर से विदेशी निवेशकों ने 28 अरब डॉलर की बिकवाली की है जो पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा है।
2) क्या ये चुनिंदा शेयरों में निवेश का सही समय है?
रिपोर्ट में इस सवाल का जवाब हाँ में है। रिपोर्ट में ब्रोकरेज कंपनी ने कुछ शेयरों का चुनाव किया है जो अच्छे खासे करेक्शन के बाद अच्छे भाव पर मिल रहे हैं। एनालिस्ट भी इन शेयरों से अच्छे तिमाही नतीजों की उम्मीद कर रहे हैं। वहीं उन्हें कंपनी के प्रबंधन और उनके कामकाज पर भरोसा है जिससे शेयर आगे चल कर अच्छा रिटर्न देने की पूरी पूरी क्षमता रखते हैं। संस्था ने अपनी रिपोर्ट में जिन कंपनियों को अपनी पहली पसंद के रूप में चुना है वो हैं :
रिलायंस, भारती एयरटेल, एचयूएल, एल ऐंड टी, मारुति सुजुकी, टाइटन, अदाणी पोर्ट्स, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, एलटीआई माइंडट्री, श्रीराम फाइनेंस, जेएसडब्ल्यू एनर्जी, पॉलीकैब, एचडीएफसी एएमसी, कोफोर्ज, पेज इंजस्ट्रीज, एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक, जेके सीमेंट्स, इपका लैब, गोजरेज प्रॉपर्टीज़, ब्रिगेड इंटरप्राइज, एंजल वन और हैप्पी फोर्जिंग।
3) सरकारी नीतियों से होगा फायदा?
बीते महीने सरकार ने एसी नीतियों को पेश किया है जिनसे देश में माँग बढ़ेगी, जैसे बजट में सरकार ने मध्यम वर्ग को राहत देते हुए कर छूट में बढ़ा दी है। वहीं, आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति में ब्याज दरों में कटौती की। इन दोनों ही कदमों से आम आदमी की आय बढ़ेगी साथ ही बचत को भी बढ़ावा मिलेगा।
4) गिरावट के क्या रहे दूसरे कारण?
अभी तक बाजार की गिरावट के लिए विदेशी निवेशकों की बिकवाली को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। गिरावट की वजह बिकवाली है इसमें कोई दो राय नहीं लेकिन इस बिकवाली को हवा कहाँ से मिली? गिरावट के और क्या कारण रहे हैं, आपके लिए ये भी जानना बेहद जरूरी है।
निफ्टी 50 या निफ्टी स्मॉलकैप बीते 5 महीनों में सभी अपने अपने शिखर से 16-24% तक गिर चुके हैं। इस गिरावट के पीछे कंपनियों की कमाई में आ रही गिरावट भी एक बड़ी वजह रही। वित्त वर्ष 2025 के शुरुआती 9 महीनों में निफ्टी ने सिर्फ 4% का पीएटी वृद्धि दर्ज की, जबकि औसतन बीते 4 साल में ये वृद्धि दर 20% या उससे ज्यादा थी। इस वजह से रिपोर्ट में ये आशंका जतायी गयी है कि चौथी तिमाही में भी कंपनियों के नतीजे कमजोर ही रहेंगे। और पूरे साल की ग्रोथ रेट 16-19% के बीच ही रहने की आशंका है।
5) दिख रही उम्मीद की किरण
रिपोर्ट में इस बात की उम्मीद जताई गई है कि बाजार में ये गिरावट का अंतिम दौर हो सकता है। इसलिए रिपोर्ट बीते 10 सालों के आँकड़ों का सहारा लेती है। इस दौरान निफ्टी 50 में आयी गिरावट के देखते हुए लगता है कि ये गिरावट का अंतिम चरण हो सकता है, क्योंकि सूचकांक अपने शीर्ष से 16% तक गिर चुका है, जो बीते 10 सालों के 10% से अधिक की गिरावट वाले दौर के औसत 17% के करीब है।
निफ्टी 50 की गिरावट के कारण लार्ज कैप शेयरों में अच्छा खासा करेक्शन देखने को मिला है। मिड-कैप और स्मॉल-कैप अपने पिछले 10 साल के औसत मूल्यांकन से काफी ऊपर कारोबार कर रहे हैं। रिपोर्ट में इसी कारण लार्ज कैप शेयरों को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है। अगर पोर्टफोलियों में हिस्सेदारी की बात करें तो लार्ज कैप को 76%, मिडकैप को 16% और 8% स्मॉल-कैप हिस्सा दिया गया है।
कब होगी विदेशी निवेशकों की वापसी?
यह इस समय निवेशकों के बीच सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला सवाल है। हालाँकि इसका सही सही जवाब देना किसी के लिए भी मुश्किल है। रिपोर्ट कहती है कि जिस तरह से बाजार जिस तरह दोबारा करवट बदल रहा है उसे देखते हुए लगता है कि विदेशी निवेशकों की बिकवाली का दौर अब खात्मे की ओर है। बीते 5 महीनों में विदेशी निवेशकों ने करीब 28 अरब डॉलर की बिकवाली की है जो कि विदेशी निवेशों की अक्टूबर 2021 से जून 2022 के बीच की 32.5 अरब डॉलर की अब तक की सबसे बड़ी बिकवाली के बाद दूसरे पायदान पर आती है। मौजूदा बिकवाली 2021-22 की बिकवाली का करीब 85% है। 2021-22 की बिकवाली कोरोना काल के दौरान हुई थी और उसके बाद बाजार की तेजी का इतिहास गवाह है।
(शेयर मंथन, 17 मार्च 2025)
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