बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने स्टॉक एक्सचेंज एनएसई (NSE) पर एक जगह कुछ सर्वर को खास फायदा पहुँचाने (को-लोकेशन) के मामले में 625 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
सेबी की तरफ से एनएसई पर यह जुर्माना 01 अप्रैल 2014 से 12% वार्षिक ब्याज दर के साथ लगाया गया है। यानी एनएसई पर कुल जुर्माना 1,000 करोड़ रुपये से अधिक है, जो इसे निवेशक सुरक्षा और शिक्षा कोष (आईपीईएफ) में जमा करवाना है।
इसके अलावा बाजार नियामक ने एनएसई को प्रतिभूति बाजार से भी 6 महीने के लिए रोक दिया है। इस आदेश से एनएसई के 10,000 करोड़ रुपये के आईपीओ में देरी होगी, क्योंकि एक्सचेंज 6 महीने तक पूँजी बाजार से दूर रहेगा।
सेबी ने इस मामले में 16 लोगों के खिलाफ भी आदेश जारी किया है। इनमें एनएसई के दो पूर्व प्रबंध निदेशकों को दोषी पाया गया है, जिनमें रवि नारायण और चित्रा रामकृष्ण शामिल हैं। रवि नारायण को वित्त वर्ष 2010-11 से 2012-13 तक के अपने वेतन का 25% आईपीईएफ में जमा करवाने का निर्देश दिया गया है। वहीं चित्रा रामकृष्ण को 2013-14 के वेतन का 25% जमा करवाना होगा। इन दोनों पूर्व अधिकारियों पर 5 साल तक किसी सूचीबद्ध कंपनी या बाजार इन्फ्रा चलाने वाले संस्थान या बाजार में बिचौलिये का काम करने वाली किसी इकाई के साथ काम करने पर भी रोक लगायी गयी है। सेबी ने दोनों को 6 महीने के लिए प्रतिभूति बाजार में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कारोबार करने से भी रोक दिया है।
गौरतलब है कि साल 2015 में एक शिकायत के बाद एनएसई की को-लोकेशन सुविधा जाँच के घेरे में आयी थी। सेबी ने आदेश जारी करते हुए कहा कि एनएसई ने टिक- बाय-टिक (टीबीटी) डेटा रूपरेखा के संबंध में अपेक्षित प्रयास नहीं किया। (शेयर मंथन, 01 मई 2019)
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