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ट्रंप के ऑटो टैरिफ से हिल सकता है दुनिया का ऑटो बाजार, भारतीय उद्योग भी आ सकते हैं चपेट में

अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद से डॉनल्ड ट्रंप की दबंगई जारी है। उन्होंने अमेरिका में आयात होने वाली कारों और छोटे ट्रकों पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। ये टैरिफ  अभी लगने वाले टैक्स के अतिरिक्त होगा। ट्रंप के आदेश के मुताबिक ये शुल्क 2 अप्रैल से लागू हो जायेगा। वहीं, कनाडा और मैक्सिको के साथ हुए करार के तहत आने वाली गाड़ियों पर टैक्स नहीं लगेगा लेकिन अगर उनमें इस्तेमाल कोई पार्ट अमेरिका से बाहर बना है तो उस पर 25% का टैरिफ लगेगा।

ट्रंप के फैसले का दुनिया पर असर

अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले से दुनियाभर के बाजार में गिरावट देखने को मिली। खुद अमेरिका का बाजार दबाव में आ गया। फोर्ड, जनरल मोटर्स और टाटा मोटर्स जैसे तमाम स्टाॅक में दबाव दिखा।

ट्रंप के फैसले का भारत पर असर

डॉनल्ड ट्रंप के फैसले का भारत पर कोई सीधा असर तो नहीं होगा। मगर इससे टाटा मोटर्स प्रभावित होगी, क्योंकि कंपनी यूरोप के जरिये अमेरिका में जगुआर लैंड रोवर की बिक्री करती है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2024-25 में दुनियाभर में 4 लाख कारें बेची थीं। इनमें से 22% यानी लगभग 88 हजार अमेरिका में बेचीं। कंपनी अपनी कारों का विनिर्माण मुख्य तौर पर ब्रिटेन में करती है।

ट्रंप को कनाडा की दो-टूक

ट्रंप के फैसले की सबसे पहली आलोचना उसके पड़ोसी देश कनाडा ने की है। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा है कि ट्रंप टैरिफ उनके देश पर सीधा हमला है। उन्होंने कहा कि उनका देश कनाडा के वर्क फोर्स और कंपनियों की रक्षा के लिए मजबूती के साथ खड़ा है।

ट्रंप के फैसले से यूरोप हुआ परेशान

यूरोपीय कमीशन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डर लियेन ने डॉनल्ड ट्रंप के फैसले पर अफसोस जाहिर किया है। उन्होंने कहा है कि अगर टैरिफ कारोबार के लिए बुरा है तो ग्राहकों के लिए तो और भी बुरा है क्योंकि कीमत तो उन्हें ही चुकानी पड़ती है। कंपनियों की लागत बढ़ेगी तो वो उसकी भरपाई कीमतें बढ़ाकर करेंगी, यानी ग्राहकों को गाड़ियाँ महँगी मिलेंगी। अगर ट्रंप को लगता है कि उनके फैसले से उन्हें फायदा होने वाला है तो ऐसा नहीं है क्योंकि इससे अमेरिका में भी गाड़ियों के दाम बढ़ जायेंगे।

जापान बोला हमें जबाव देना होगा

जापानी प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने टैरिफ के खिलाफ जवाबी कार्रवाई से इनकार नहीं किया। उन्होंने संसद में कहा कि जापान को सही जवाब पर विचार करना चाहिए। सभी विकल्प मेज पर हैं। उन्हें देखना होगा और सही जवाब को चुनना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार को जापान के हितों की रक्षा के लिए आगे आना होगा और अमेरिका से ये कहना होगा कि जापान और दूसरे देशों के साथ ऐसा करना कहीं से भी सही नहीं है।

ब्रिटेन ने भी की आलोचना

यूनाइटेड किंगडम ऑटोमोटिव उद्योग संस्था, सोसाइटी ऑफ मोटर मैन्युफैक्चरर्स एंड ट्रेडर्स ने भी ट्रंप के फैसले की जमकर आलोचना की है। संस्था ने कहा कि ट्रंप के फैसलों से दोनों के कारोबारियों और ग्राहकों को नुकसान होगा। साथ ही इससे ब्रिटेन और अमेरिका के बीच लंबे समय से चले आ रहे रिश्ते को भी करारा झटका लगेगा। जब कंपनियों की उत्पादन लागत बढ़ेगी, लोगों को ज्यादा कीमत देनी पड़ेगी और कंपनियों को लागत घटाने के लिए उठाये जाने वाले कदमों से लोगों को बड़ी संख्या में नौकरियों से हाथ धोना पड़ेगा।

क्या है ट्रंप की दलील

दरअसल ट्रंप चाहते हैं कि अमेरिक दुनिया का फैक्ट्री हब बने। चीजें अमेरिका में बने, दुनिया की तमाम कंपनियाँ अमेरिका में अपनी फैक्ट्रियाँ लगायें और वहीं से चीजें पूरी दुनिया को निर्यात हों। ताकी अमेरिकी अर्थव्यवस्था बढ़ने के ही साथ ही अमेरिकी लोगों को रोगजार भी मिले। ट्रंप का दावा है कि उनके कदम से देश में विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। 25% टैरिफ के पीछे उनकी दलील है कि इससे अमेरिका को सालाना 100 अरब डॉलर की अतिरिक्त आय होगी जिसका इस्तेमाल देश के विकास में किया जाएगा।

अमेरिका में महँगी हो जायेंगी कारें

अमेरिका में कारें मैक्सिको, जापान, उत्तर कोरिया, कनाडा और जर्मनी से सबसे ज्यादा आयात होती हैं। जानकारों का मानना है कि ट्रंप अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार रहे हैं। उनके इस फैसले से अमेरिका में गाड़ियों की कीमत 4,000-12,000 डॉलर तक बढ़ जायेगी।

ट्रंप के फैसले का कार निर्माताओं पर असर

जानकारों का मानना है कि ट्रंप के 25% टैरिफ लगाने से कार बनाने वाली कंपनियों की लागत बढ़ जायेगी, जिससे उनकी बिक्री गिरेगी। सिर्फ अमेरिका की ही बात करें तो, वहाँ की कंपनियाँ भी अपने कई पुर्जे दूसरे देशों से आयात करती हैं। इन पुर्जों में गाड़ियों के टायर भी शामिल हैं जो भारत से भी अमेरिका निर्यात होते हैं।

रेसिप्रोकल टैरिफ और भारत

अब दुनिया और भारत की नजरें 2 अप्रैल से लगने वाले रेसिप्रोकल टैरिफ पर हैं। ये भारत के लिए इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि खुद ट्रंप भी कह चुके हैं कि भारत अमेरिकी सामानों पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों की फेहरिस्त में शुमार है। 1990-91 तक भारत का औसत टैरिफ 125% तक था। उदारीकरण के बाद ये कम होता चला गया। 2024 में भारत का औसत टैरिफ रेट 11.66% पर आ गया।

ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद भारत ने टैरिफ रेट में बदलाव किया। भारत सरकार ने टैरिफ के 150%, 125% और 100% वाली दरों को ही खत्म कर दिया है। अब भारत में सबसे ज्यादा टैरिफ रेट 70% है। भारत में पहले लग्जरी कारों के आयात पर 125% टैरिफ लगता था, लेकिन ये अब 70% हो गया है। अब 2025 में भारत का औसत टैरिफ रेट घटकर 10.65% हो चुका है।

हालाँकि जानकारों का मानना है कि भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने से खुद अमेरिका को ज्यादा नुकसान होगा क्योंकि भारत से अमेरिका सिर्फ ऑटो पार्ट्स ही नहीं बल्कि दवाइयाँ और खाने-पीने की चीजें भी निर्यात होती हैं।

(शेयर मंथन, 29 मार्च 2025)

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