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2016-17 में जीडीपी ग्रोथ लगभग 7.7% रहेगी - फिक्की सर्वेक्षण

फिक्की के नये आर्थिक परिदृश्य सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2016-17 में 7.7% जीडीपी विकास दर का पूर्वानुमान लगाया गया है।

फिक्की के सर्वेक्षण के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 में विकास दर को कृषि और औद्योगिक क्षेत्र में होने वाले सुधार से सहारा मिलेगा। लगातार दो साल सूखा पड़ने के बाद इस साल बेहतर मानसून की भविष्यवाणी से इस नजरिये को मजबूती देती है। साथ ही वित्त मंत्री ने भी कहा है कि किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के लिए इस वर्ष सरकार कृषि क्षेत्र में अपने हस्तक्षेप को नयी दिशा देगी।
यह सर्वेक्षण अप्रैल/मई 2016 में उद्योग, बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र के अर्थशास्त्रियों के बीच किया गया, जिसमें इन अर्थशास्त्रियों के वित्त वर्ष 2016-17 और इसकी पहली तिमाही और 2015-16 की आखरी तिमाही के लिए व्यापक आर्थिक चरों के लिए पूर्वानुमान लिए गये। सर्वेक्षण के परिणामों के अनुसार कृषि क्षेत्र में इस वित्त वर्ष में 1.6% और 3.5% की न्यूनतम और अधिकतम रेंज के साथ 2.8% की औसत विकास दर रहने की उम्मीद है। साथ ही औद्योगिक क्षेत्र में 7.1% और सेवा क्षेत्र में 9.6% की विकास दर रहने का अनुमान है। इसके अलावा आईआईपी में 4.5% और 5.5% की न्यूनतम और अधिकतम रेंज के साथ 3.5% औसत वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है। साथ ही इन्फ्लेशन पर सभी अर्थशास्त्रियों का नजरिया सामान्य और नियंत्रित रहा।
सर्वेक्षण में 2016-17 के लिए थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर के लिए औसत पूर्वानुमान (-)1.3% और 2.9% की न्यूनतम और अधिक्तम रेंज के साथ 2.2% और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के लिए 4.5% और 5.5% की न्यूनतम और अधिक्तम रेंज के साथ 5.1% बताया गया है।
अर्थशास्त्रियों से सरकार के 3.5% राजकोषीय घाटा के लक्ष्य के बारे में भी पूछा गया, जिसके उत्तर में अधिकतर ने इसे पूरा करने योग्य बताया, जिसके प्रमुख कारणों में बारिश, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रह और सरकारी सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने के साथ जारी रखने के माध्यम से अधिक राजस्व आदि शामिल रहे। इसके साथ ही यह भी बताया है कि राजस्व प्राप्तियों की आवश्यक राशि जुटाने में सक्षम होने के लिए जीडीपी विकास दर का होना 7-7.5% होना जरूरी है। हालांकि वैश्विक स्तर पर तेल के दाम बढ़ने से संभवतः इस साल राजकोषीय घाटे का अनुमानित प्रक्षेपवक्र बदल सकता है।
बैंकिग सिस्टम में बेहतरी के सवाल के जवाब में अर्थशास्त्रियों ने बताया कि यह अगले वित्त वर्ष से पहले मुश्किल लग रहा है। मगर इन्सोलवेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड बिल, 2015 मौजूदा व्यवहार्य व्यवसायों की चुनौतियों से निपटने के लिए एक बहुत ही सकारात्मक कदम है। सर्वेक्षण में भाग लेने वाले अर्थशास्त्रियों में बहुमत ने कहा कि समेकन के रास्ते पर हम आगे केवल बैंकों की बैंलेंस शीट के निष्कलंक होने की स्थिति में बढ़ सकते है।
साथ ही सर्वेक्षण में कहा गया ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए सड़कें और भंडार गृह आदि और मनरेगा में बड़े निवेश की आवश्यक्ता है जिससे कि किसानों के लिए अधिक से अधिक आय उत्पन्न हो। विशेष रूप से कृषि क्षेत्र में संकट के दौरान। (शेयर मंथन, 30 मई 2016)

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