सोयाबीन वायदा (मार्च) की कीमतों की तेजी पर रोक लगने की संभावना है और आगामी दिनों में कीमतों के 3,730 रुपये से नीचे ही रहने की संभावना है।
हाजिर बाजारों में मिलों की ओर से सोयाबीन की माँग कम हो गयी है क्योंकि अधिक कीमतों पर सोयामील की कीमतों में लगभग 1,500 रुपये प्रति टन की गिरावट हुई है, जिससे सोयाबीन की पेराई मार्जिन कम हुई है और मिलें सोयाबीन की खरीदारी कम करने पर विवश हुई हैं। इसके अतिरक्त अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय सोयाबीन की अधिक कीमतों के कारण निर्यात माँग काफी कम है। अन्य देशों की तुलना में भारतीय सोयामील की कीमत 31 डॉलर प्रति अधिक है। रिफाइंड सोया तेल वायदा (मार्च) की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 754-752 रुपये के स्तर पर पहुचने की संभावना है। जबकि सीपीओ वायदा (फरवरी) की कीमतों के 565-573 रुपये के दायरे में स्थिर रहने की संभावना है। पिछले वर्ष नवंबर में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी किये जाने के कारण आपूर्ति में कमी का सामान करना पड़ रहा है। साल्वेंट एक्सटैक्टर एसोसिएशन के आँकड़ों के अनुसार मौजूदा सीजन के पहले दो महीनों नवंबर और दिसंबर 2017 रिफाइंड खाद्य तेलों के आयात में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में लगभग आधा फीसदी की गिरावट हुई है। केन्द्रीय बजट 2018-19 में सरकार ने फिर से खाद्य तेलों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी की जिससे आपूर्ति कम हो सकती है। आगामी दिनों में सरसों वायदा (अप्रैल) की कीमतों को 4,200 के स्तर पर रेजिस्टेंस रहने की संभावना है। देश भर में तेल मिलों द्वारा सरसों की पेराई कम हो रही है, क्योंकि प्रमुख बाजारों में अभी आवक कम हो रही है। (शेयर मंथन, 05 फरवरी 2018)
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