सोयाबीन वायदा (जून) की कीमतों को 3,830-3,850 रुपये के स्तर पर पहुँचने की संभावना है।
डॉलर के मुकाबले रूपये के 16 महीने के निचले स्तर पर पहुँचने के बाद ऑयलमील की निर्यात माँग में रिकवरी होने की संभावना से कीमतों को मदद मिलने की संभावना है। तेल वर्ष 2017-18 (अक्टूबर-सितम्बर) के संशोधित अनुमान के अनुसार देश में सोयाबीन और सोया उत्पादों का 15 लाख टन होने का अनुमान है और कैरी फॉरवर्ड स्टॉक केवल 1 लाख टन रह सकता है।
रुपये के कमजोर होने के कारण खाद्य तेलों का आयात महँगा होने से रिफाइंड सोया तेल वायदा (जून) की कीमतों के 765 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ एक दायरे में कारोबार करने की संभावना है। ब्लूमबर्ग सर्वे के अनुसार अप्रैल महीने में भारत में सोया तेल का आयात लगभग 42% की गिरावट के साथ 1,77,500 टन रह सकता है। मौजूदा खरीफ सीजन से पहले प्रमुख तिलहनों की कीमतों को मदद करने के लिए सरकार सोया तेल, सूरजमुखी तेल और अन्य खाद्य तेलों पर आयात शुल्क लगाने का विचार कर रही है।
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