चना वायदा (जून) कीमतों को 3,620 रुपये के स्तर पर सहारा रहने की संभावना है, जिससे इसकी गिरावट पर रोक लगी रह सकती है।
सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदारी, मिलों की ओर से बेहतर खरीदारी और कम होती आवक के कारण देश के प्रमुख हाजिर बाजारों में पिछले एक हफ्ते में चना की कीमतों में 100 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। कम कीमतों पर किसानों की ओर से धीमी बिकवाली से बाजार में तेजी बढ़ रही है।
कॉटन वायदा (मई) की कीमतों को 20,600 रुपये के नजदीक सहारा रहने की संभावना है। अमेरिका में कपास की अच्छी खेती के बीच सूखे मौसम के कारण आईसीई में कॉटन वायदा की कीमतों में तीन हफ्ते के निचले स्तर पर स्थिरता है। आईसीई में कॉटन वायदा की कीमतें 0.07% की मामूली बढ़त के साथ 83.76 सेंट के स्तर पर कारोबार कर रही हैं। घरेलू बाजार में आपूर्ति अच्छी है और घरेलू के साथ-साथ निर्यात माँग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। भारतीय कपास संगठन के अनुसार 30 सितम्बर 2018 तक कुल 410 लाख बेल कपास की आपूर्ति होने का अनुमान है, जिसमें 30 लाख बेल प्रारंभिक स्टॉक शामिल है। घरेलू खपत 324 लाख बेल होने का अनुमान है, जबकि निर्यात 65 लाख बेल होने का अनुमान है, इस प्रकार 2017-18 के अंत तक कपास का कैरी ओवर स्टॉक 21 लाख बेल होने का अनुमान है।
ग्वारसीड वायदा (जून) की कीमतों में 4,000 रुपये तक तेजी का रुझान बरकरार रहने की संभावना है, जबकि ग्वारगम वायदा (जून) की कीमतों में 8,700 रुपये तक बढ़त दर्ज की जा सकती है। विदेशी बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के बाद तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी और रिगों की संख्या में वृद्धि के कारण ग्वारगम की माँग में बढ़ोतरी हो रही है। (शेयर मंथन,16 मई 2018)
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