मजबूत फंडामेंटल के कारण मेंथा ऑयल वायदा (सितंबर) की कीमतों में 1,680 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ तेजी का रुझान जारी रहने की संभावना है।
बेहतर कीमत मिलने की उम्मीद से किसानों और स्टॉकस्टिों द्वारा अपना स्टॉक रोक कर रखे जाने से भी कीमतों को मदद मिल रही है। ऐसा अनुमान है कि किसानों के पास लगभग 40% स्टॉक बचा हुआ है, जबकि निर्यात माँग काफी अधिक है और रुपये यदि कमजोर रहता है तो माँग में बढ़ोतरी जारी रह सकती है।
अधिक उत्पादन अनुमान के बाद उच्च स्तर पर बिकवाली के कारण ग्वारसीड वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में नरमी बरकरार रहने की संभावना है और 4,325 रुपये के स्तर पर रुकावट के साथ कीमतें 4,150 रुपये तक लुढ़क सकती हैं। राजस्थान के गंगानगर में ग्वारसीड की नयी फसल की आवक शुरू हो गयी है। अगस्त के अंत तक राजस्थान में ग्वारसीड का उत्पादन क्षेत्रों 8% बढ़ कर 3.1 मिलियन हेक्टेयर हो गया है। बीकानेर और जोधपुर में आवक नवंबर के मध्य में शुरू होगी, जबकि हरियाणा में आवक अक्टूबर के पहले हफ्ते में शुरू होगी। आगामी हफ्तों में ग्वारसीड की रोजना आवक बढ़ कर 40,000-60,000 बैग हो सकती है। नयी फसल में नमी की मात्रा 10-12% रह सकती है, क्योंकि फसल अभी पूरी तरह से पकी हुई नही होगी।
चना वायदा (अक्टूबर) की कीमतों को 3,965 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है और कीमतों की गिरावट पर रोक लग सकती है। बाजार में ऐसी अटकलें है कि सरकार मसूर पर आयात शुल्क 30% से बढ़ा कर 100 रुपये कर सकती है और चना का निर्यात 7% से बढ़ा कर 15% कर सकती है। इस कदम से निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है और दालों की घरेलू कीमतों में वृद्धि हो सकती है। (शेयर मंथन, 17 सितंबर 2018)
Add comment