सोयाबीन वायदा (अगस्त) की कीमतों को 3,565 रुपये के नजदीक सहारा बरकरार रहने की संभावना है, जबकि निचले स्तर पर खरीदारी के साथ शॉर्ट कवरिंग (जवाबी खरीद) के कारण कीमतों में बढ़त दर्ज की जा सकती है।
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में इस तिलहन की उत्पादकता कम होने की आशंका है। महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा में सोयाबीन उत्पादक क्षेत्रों में अभी बुवाई शुरू नहीं हो सकी है, जिसमें पहले से ही 5-6 सप्ताह की देरी हो चुकी है।
सरसों वायदा (अगस्त) की कीमतों के 3,915-3,945 रुपये के दायरे में कारोबार किये जाने की उम्मीद है। हाजिर बाजारों में आवक धीरे-धीरे कम हो रही है और दूसरी ओर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आपूर्ति में कमी को देखते हुए, तेल मिलों और सरसोंमील निर्यातकों की ओर से माँग में तेजी आ सकती है।
सोया तेल वायदा (अगस्त) की कीमतें 735-745 रुपये और सीपीओ वायदा (अगस्त) की कीमतें 511-517 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती हैं। हाल ही में यह बताया गया है कि कृषि मंत्रालय ने सस्ते खाद्य तेल के आयात को उत्साहित करने और घरेलू तिलहन किसानों को समर्थन देने के लिए आयातित खाद्य तेलों पर उपकर का प्रस्ताव किया है। कृषि मंत्रालय ने देश में सस्ते तेल की भारी आवक पर रोक लगाने के लिए सभी खाद्य तेलों के आयात पर एक उपकर लगाने का प्रस्ताव किया है, जिसमें उपकर की मात्रा अभी तय नहीं की गयी है।
सरकार पहले से ही घरेलू बाजार में सस्ते आयात को रोकने के लिए खाद्य तेलों पर 40% और 54% के बीच आयात शुल्क लगाया है। इस बीच चीन और अमेरिका के बीच लंबे समय से जारी व्यापार युद्ध के कारण खाद्य तेल की कीमतों पर दबाव है। (शेयर मंथन, 31 जुलाई 2019)
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