सोयाबीन वायदा (सितम्बर) की कीमतों के 3,690-3,750 रुपये के दायरे में सीमित कारोबार की संभावना है।
यह अनुमान लगाया जा रहा है कि मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में छिटपुट वायरस फैलने और महाराष्ट्र और राजस्थान में खड़ी फसलों पर कीटों के हमले के कारण भारत के सोयाबीन उत्पादन पर असर पड़ने की संभावना है। इसके अलावा, सोयाबीन की खेती के कुछ क्षेत्रों में औसत से भारी वर्षा की आवश्यकता है। अधिक निर्यात माँग के कारण शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड में सोयाबीन वायदा की कीमतें दो हफ्ते के उच्च स्तर पर पहुँच गयी है। यूएसडीए के अनुसार चीन के आयातकों ने 1,97,000 टन अमेरिकी सोयाबीन की बुकिंग की है जो लगातार सातवां हफ्ता है जिसमें अमेरिकी सोयाबीन की बिक्री हुई है।
सरसों वायदा की कीमतें अब तक के उच्चतम स्तर लगभग 5,192 रुपये के नजदीक, जो वर्ष 2015 में दर्ज की थी, कारोबार कर रही है। कीमतों में अभी भी तेजी का रुझान है और कीमतों में प्रत्येक गिरावट को खरीद के अवसर के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि माँग-आपूर्ति के बीच एक बहुत अधिक असमानता है। कीमतों को 4,965 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है। भारत के सरसों तेल उत्पादक संघ के नवीनतम आँकड़ों से पता चलता है कि देश में मिलों द्वारा सरसों की पेराई जुलाई में 52.4% बढ़कर 800,000 टन हो गयी। लेकिन जुलाई में हुई पेराई काफी हद तक जून के बराबर ही थी। जबकि सरसों का तेल मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। भारत में कोविड-19 के प्रकोप के बाद से इसकी खपत कई गुना बढ़ गयी है। पेराई मार्जिन भी 14 प्रति क्विंटल है।
सोया तेल (सितम्बर) की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 860-870 रुपये के दायरे में सीमित दायरे में कारोबार करने की संभावना है जबकि सीपीओ (अगस्त) की कीमतें नरमी के रुझान के साथ 733-745 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। (शेयर मंथन, 14 अगस्त 2020)
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