हल्दी वायदा (दिसंबर) की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ कारोबार करने की संभावना है और कीमतों 5,800 रुपये के स्तर पर बाध के साथ 5,750-5,700 रुपये तक गिरावट हो सकती है।
पर्याप्त कैरीओवर स्टॉक के बीच मजबूत माँग के अभाव के कारण कीमतों में नरमी का रुझान है। हाजिर बाजारों में कारोबारी गुणवत्ता के आधार पर हल्दी का भाव लगा रहे हैं। पिछले कुछ महीनों से मध्यम गुणवत्ता वाली हल्दी बिक्री के लिए आ रही है। खरीदार कारोबारी, जिन्हे स्थानीय माँग और कुछ घरेलू माँग मिल रही हैं, वे सावधानी से भाव लगा रहे हैं। किसान मौजूदा कीमतों को लेकर नाखुश हैं, जबकि कारोबरी हल्दी की सीमित खरीदारी कर रहे हैं। अधिकांश कारोबारियों को अभी तक नयी माँग नहीं मिली है, न ही स्थानीय हल्दी पाउडर इकाइयों और मसाला फर्मों की ओर से माँग हुई है।
जीरा वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 14,130-14,080 रुपये तक गिरावट हो सकती है। स्थिर आवक के बावजूद ऊँझा और राजकोट में जीरा की हाजिर कीमतों में 20 रुपये प्रति 20 किलोग्राम की गिरावट हुई है। यूरोपीय गुणवत्ता वाली जीरे की कीमतें 2,545-2,555 रुपये सिंगापुर की गुणवत्ता जीरे की कीमतें 2,455-2,505 रुपये सुपर गुणवत्ता जीरे की कीमतें 2,555-2,605 रुपये और यूरोप-मुंद्रा जीरे की कीमतें 2,805-2,855 रुपये प्रति 20 ग्राम के दायरे में रही।
धनिया वायदा (दिसंबर) की कीमतों पर बिक्री का दबाव बढ़ने की उम्मीद है और कीमतों के 6,500-6,700 रुपये के दायरे में सीमित कारोबार करने की संभावना है। त्योहारों के मौसम के बावजूद सेंटीमेंट कमजोर है, क्योंकि घरेलू खरीदारों से माँग में कोई बड़ी तेजी नहीं देखी जा रही है। इसके अलावा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के उत्पादक क्षेत्रों में अगली फसलों के लिए बुवाई शुरू हो गयी है। यह देखते हुये, खुदरा स्टोर मालिक, मिलों जैसे बड़े खरीदार इस समय किसी भी भारी खरीद से बच रहे हैं। (शेयर मंथन, 11 नवंबर 2020)
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