कॉटन वायदा (दिसंबर) की कीमतों के 19,800-20,200 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना हैं।
आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक की मंडियों को छोड़कर, उत्तर और मध्य भारत की सभी प्रमुख मंडियों में कपास की कीमतों में गिरावट आयी। जबकि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की कपास मंडियों में 15-25 रुपये प्रति मौंड और राजस्थान में कपास की सभी किस्मों की कीमतों में 100 रुपये प्रति कैंडी की कमी हुई। गुजरात में कपास की किस्मों में कुछ में 100 रुपये प्रति कैंडी की गिरावट हुई है। यह ध्यान दिया जाना चाहिये कि राज्य के उत्पादक क्षेत्रों में दैनिक आवक में तेजी आयी है, क्योंकि कपास की दरों में तेजी आयी है, जिसके कारण किसान केवल अपने स्टॉक को बेचने के लिए उत्सुक हैं। पिछले साल की तुलना में इस साल किसानों की ओर से अधिक बिक्री के पीछे यही कारण है। अभी तक इस मौसम में उत्पादक राज्यों की मंडियों में 133 लाख बेल आवक दर्ज की गयी है और यह दबाव जनवरी के मध्य तक जारी रहने की संभावना है।
चना वायदा की कीमतें 4,500-4,450 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है, क्योंकि बढ़ते उत्पादन क्षेत्र के कारण कीमतों की बढ़त पर रोक लग रही है। नवीनतम आँकड़ों से पता चलता है कि दलहन का कुल क्षेत्र 9% बढ़कर 131 लाख हेक्टेयर हो गया है। पिछले वर्ष की तुलना में महाराष्ट्र, ओडिशा और झारखंड में अधिक बुवाई हुई है। चने की खेती में लगभग 13% की वृद्धि हुई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की ऊंची कीमतों से सकारात्मक संकेत लेते ग्वारसीड वायदा (जनवरी) की कीमतों में 3,800-3,750 रुपये तक गिरावट सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (जनवरी) की कीमतें 5,800-5,700 रुपये तक लुढ़क सकती है। ग्वारगम की कीमतों में 125 रुपये क्विंटल की गिरावट हुई है। मिलों ने ग्वारसीड की खरीद कीमतां में भी 105 रुपये प्रति क्विंटल की कमी की है। जोधपुर में मिलों ने 3,775-3,825 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में ग्वारसीड की खरीदारी की है। (शेयर मंथन, 22 दिसंबर 2020)
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