कॉटन वायदा (अप्रैल) की कीमतों में नरमी का रुझान है और निर्यात माँग में कमी की चिंताओं के कारण काटन वायदा (अप्रैल) की कीमतों को 21,600 रुपये के स्तर पर बाधा का सामना करना पड़ सकता है।
निर्यात बाजार में भारतीय कपास की गुणवत्ता एक प्रमुख मुद्दा बना गया है जिससे आयात करने वाले राष्ट्र भारत से कपास खरीदने को लेकर दिलचस्पी नही ले रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में, मजबूत डॉलर के कारण आईसीई में कॉटन वायदा की कीमतें एक महीने में सबसे कम हो गयी है और उम्मीद है कि टेक्सास में बारिश कपास की फसल के लिए फायदेमंद होगी। इसके अलावा, इस बात पर भी चर्चा चल रही है कि फिर से आर्थिक बंदी के कारण यूरोपीय संघ के टेक्सटाइल ऑर्डर या तो स्थगित किये जा रहे हैं या रद्द किये जा रहे हैं।
ग्वारसीड वायदा (अप्रैल) की कीमतों को 3,700 रुपये के करीब सहारा रहने की उम्मीद है, जबकि ग्वारगम वायदा (अप्रैल) की कीमतों को 5,850 रुपये से ऊपर स्थिर रहने की उम्मीद है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमजोरी के बावजूद, कम आवक के कारण इन काउंटरों में ज्यादा बिकवाली नहीं देखी जा रही है। हाजिर बाजारों में कारोबारी मौजूदा सीजन में कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं। नयी फसल अक्टूबर से पहले उपलब्ध नहीं होगी और इसलिए मिलों को पर्याप्त स्टॉक बनाये रखने की आवश्यकता होगी ताकि वे अगले छह महीनों के लिए ग्वारगम उत्पादन सुनिश्चित कर सकें। इसलिए वे मौजूदा कीमतों को बहुत आकर्षक पा रहे हैं।
चना वायदा (अप्रैल) की कीमतें 4,970-5,030 रुपये के दायरे में मजबूती दर्ज कर सकती है। नेफेड ने 27 मार्च से मध्य प्रदेश से चना की खरीद की घोषणा की है। वर्तमान में मध्य प्रदेश में चना का एमएसपी 5100 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि मध्य प्रदेश में मौजूदा हाजिर दरें एमएसपी से कम है, जो किसानों को मंडियों में कम कीमतों पर बेचने के बजाय नॉफेड को अधिक कीमत पर माल बेचने के लिए प्रेरित करेगी। यह संभावित रूप से नयी फसल की मंडियों में अनुमानित आपूर्ति को प्रभावित करेगा। (शेयर मंथन, 30 मार्च 2021)
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