हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों के 8,100-8,500 रुपये के दायरे में सीमित कारोबार करने की संभावना है।
हल्दी की कीमतें पिछले महीने बढ़ गयी थी क्योंकि माँग की तुलना में आपूर्ति कम थी। इस वर्ष अब तक की आवक 10.15 लाख बैग (50 किलोग्राम का एक बैग) रही है जबकि पिछले साल समान अवधि में 11.50 लाख बैग और 2019 में 14 लाख बैग आवक हुई थी। महाराष्ट्र के नांदेड़ जैसे स्थानों में आवक कम से कम 40 प्रतिशत कम है। जैसा कि आपूर्ति अब बढ़ गयी है, बाजार संतुलन की तलाश में समय-समय पर कीमतों में गिरावट की ओर बढ़ रहा है। खबरों के अनुसार इरोड बाजार 2 अप्रैल से 10 दिनों के लिए बंद रहेगा। यदि कोविड -19 की दूसरी लहर गंभीर हो जाती है, तो स्टॉकिस्टों को उम्मीद है कि माँग में बढ़ोतरी हो सकती है। कम उत्पादन के साथ ही आवक की गुणवत्ता औसत है। इसके अलावा हल्दी के निर्यात में बढ़ोतरी के बाद इस साल पाइपलाइन में भी स्टॉक कम हुआ हैं। निर्यात आदेश बांग्लादेश और खाड़ी देशों से आये हैं और शिपमेंट अप्रैल से शुरू होगा।
जीरा वायदा (अप्रैल) की कीमतों में तेजी के बाद बिक्री बढ़ने की संभावना है, क्योंकि पिछले तीन सप्ताह से यह उच्च स्तर पर है और 14,545 रुपये के पास बाधा का सामना कर रहा है। माँग में कमी के कारण सेंटीमेंट में हल्की मंदी है और फसल की कटाई के व्यस्ततम मौसम के कारण आवक में बढ़ोतरी की संभावना भी अधिक हैं। लेकिन कीमतों में कोई तेज गिरावट नहीं दिखाई दे रहा है क्योंकि इस साल अच्छी गुणवत्ता वाले जीरे की आपूर्ति में कमी है, जबकि दुनिया के बाजारों में भारतीय मसाले की माँग अधिक है। इस बीच, ऊंझा मंडी में व्यापारिक गतिविधियाँ फिर से शुरू होने वाली हैं।
धनिया वायदा (अप्रैल) की कीमतों में 7,000-6,900 रुपये तक तेज गिरावट होने की उम्मीद है। ऐसी खबरें है कि कोटा और जोधपुर संभागों की उत्पादक क्षेत्रों में बारिश के कारण निर्यात ऑर्डर रुके हुये हैं क्योंकि खरीदार गीली आपूर्ति पर सौदे नहीं करते है। (शेयर मंथन, 05 अप्रैल 2021)
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