हल्दी वायदा (नवम्बर) की कीमतें कल एक दायरे में कारोबार करने के बाद मामूली गिरावट के साथ बंद हुई।
अब कीमतें 7,300 रुपये के सहारा के साथ 7,500 रुपये के स्तर तक बढ़त दर्ज कर सकती है। पिछले हफ्ते अनुकूल मौसम के कारण 2021-22 (जुलाई-जून) सीजन में उत्पादन अधिक होने की संभावना उच्च स्तर पर मुनाफा वसूली हुई थी। इसके अलावा, भारी कैरीओवर स्टॉक और थोक माँग में कमी के कारण कीमतों पर दबाव बना हुआ है। पिछले महीने, हल्दी की कीमतों में लगभग 8% की गिरावट हुई थी लेकिन कीमतें अभी भी वर्ष-दर-वर्ष 30% अधिक हैं। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 4 महीनों में, हल्दी का निर्यात पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 26% घटकर 53,000 टन टन रह गया, लेकिन 5 साल के औसत लगभग बराबर है।
जीरा वायदा (नवंबर) की कीमतों में कल 0.8% की बढ़त दर्ज की गयी और कीमतें 14,500 रुपये पर सहारा और 14,650 रुपये पर रुकावट के साथ कारोबार कर सकती है। निर्यात के लिए पूछताछ और त्योहारी माँग के बावजूद व्यापारियों और किसानों के पास पर्याप्त स्टॉक के कारण कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। साफ मौसम और तुलनात्मक रूप से अधिक कीमतों के कारण बाजारों में आवक बढ़ गयी है। गुजरात में सितंबर की अच्छी बारिश से अगले साल बेहतर फसल की संभावनायें बढ़ी हैं। 2021 (जनवरी-जुलाई) में, देश ने पिछले साल की समान अवधि के 1.67 लाख टन की तुलना में 1.75 लाख टन से अधिक जीरा निर्यात किया है।
धनिया वायदा (नवंबर) की वायदा कीमतों में कल 0.2% की गिरावट हुई। हमें उम्मीद है कि कीमतें 8,000 रुपये के सहारा के साथ 7,950-8,200 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। राजस्थान में साफ मौसम से स्टॉकिस्टों और किसानों को अपनी उपज मंडियों में लाने में मदद मिल रही है क्योंकि कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। लेकिन बाजार कीमतों में अधिक तेजी लाने के लिए निर्यात माँग की तलाश में है। अप्रैल-जुलाई अवधि के दौरान धनिया का निर्यात 10% कम होकर पिछले वर्ष के 19,820 टन के मुकाबले 17,830 टन हुआ है लेकिन समान अवधि में 5 साल के औसत की तुलना में 17.7% अधिक है। (शेयर मंथन, 12 अक्टूबर 2021)
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