कच्चे तेल की कीमतों में नरमी का रुझान रहने की संभावना हैं और कीमतों को 3,060 रुपये के स्तर पर अड़चन के साथ 2,890 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
दुनिया का सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता देश में कोरोना वायरस प्रकोप के बढ़ने आर्थिक सुधार की गति धीमी रहने और यूरोप में भी कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी के कारण वहाँ नये यात्रा प्रतिबंध लगने से माँग में कमी आने की आशंका से तेल की कीमतों में गिरावट हुई है। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए एक नये प्रोत्साहन पैकेज पर अमेरिकी नीतिनिर्माताओं और व्हाइट हाउस के बीच समझौता हो जाने की उम्मीद से भी कीमतों को मदद नही मिली। ईंधन की बढ़ती माँग और प्रमुख तेल उत्पादकों की वादा आपूर्ति कटौती के बेहतर अनुपालन के कारण अगस्त में ब्रेंट और डब्ल्यूटीआई की कीमतें मार्च के शुरुआती दिनों के निचले स्तर से अपने उच्चतम स्तरों पर पहुँच गयी लेकिन उसके बादसे माँग की चिंताओं के कारण लगभग 3 डॉलर तक लुढ़क गयी है। माँग को लेकर एक अन्य नकारात्मक संकेत में, अगस्त में जापान, दुनिया का चौथा सबसे बड़ा उपभोक्ता, में कच्चे तेल का आयात लगभग 26% कम हुआ है। नॉर्वे ऑयल एंड गैस एसोसिएशन (एनओजी) ने कहा कि नॉर्वे में, ओपेक के बाहर सबसे बड़े तेल उत्पादकों में से एक, 30 सितंबर को होने वाली एक श्रमिक हड़ताल के कारण उत्पादन में 900,000 बैरल प्रति दिन की कटौती की आशंका है।
नेचुरल गैस की कीमतों में तेजी दर्ज की जा सकती है और कीमतों में 199 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ 218 रुपये के स्तर पर बाधा रह सकता है। अमेरिका के अधिकांश मध्य-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व में अगले 6-10 दिनों में सामान्य मौसम की तुलना में ठंडा होने की उम्मीद है लेकिन उस अवधि के बाद मौसम के गर्म होने की उम्मीद है। (शेयर मंथन, 29 सितंबर 2020)