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अब बाजार सँभलने का मौका, या और गिरावट बाकी?

राजीव रंजन झा : कल भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की नीतिगत घोषणा के बाद शेयर बाजार में जो गिरावट आयी, उसने सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) को एक महत्वपूर्ण मुकाम पर ला दिया है।
कल सेंसेक्स 19329 का निचला स्तर छूने के बाद 19348 पर बंद हुआ और इसका 200 दिनों का सिंपल मूविंग एवरेज लगभग यहीं 19,321 पर है। ऐसे में अगर सेंसेक्स को यहीं सहारा मिल जाये तो अचरज नहीं। इसी तरह निफ्टी को देखें तो कल इसका निचला स्तर 5748 का था। ध्यान दें कि निफ्टी ने 28 जून को एक तेज अंतराल (राइजिंग गैप) बनाया था, जिसका दायरा 5700-5749 का था। यानी कल निफ्टी का निचला स्तर इस अंतराल के ठीक ऊपर है। इसलिए अगर बाजार यहीं से पलटने लगे तो यह माना जायेगा कि इस अंतराल ने सहारा दे दिया।
लेकिन अगर बाजार में गिरावट जारी रह गयी तो सेंसेक्स को 19,187 और फिर 18,926 तक जाने में वक्त नहीं लगेगा। दरअसल सेंसेक्स ने 24 जून की तलहटी 18,467 से 23 जुलाई के शिखर 20,351 तक की जो उछाल दर्ज की थी, उसकी 61.8% वापसी 19,187 पर है। वहीं सेंसेक्स के लिए 28 जून के तेज अंतराल का दायरा 18,926-19,093 का है। इसलिए 19,187 कटने पर 19,093 और 18,926 इसके अगले पड़ाव बन सकते हैं।
इसी तरह निफ्टी के लिए मौजूदा स्तर से और गिरते ही पहले 5700 और उसके बाद 5672 तक जाने में शायद ज्यादा समय न लगे। निफ्टी के लिए 5700 इसके 28 जून के तेज अंतराल का निचला छोर है, जबकि उसके नीचे जाने पर जून-जुलाई की 5566-6093 की उछाल की 80% वापसी 5672 पर है। दरअसल सेंसेक्स और निफ्टी की संरचनाओं में अभी एक फर्क यह है कि सेंसेक्स ने जून-जुलाई की उछाल की 50% वापसी को ही तोड़ा है, जबकि निफ्टी कल जून-जुलाई की उछाल की 61.8% वापसी के नीचे बंद हुआ।
लेकिन ये तो छोटी अवधि की चाल बनाने-बिगाड़ने वाली बातें हैं। अगर लंबी अवधि के चार्ट पर देखें तो निफ्टी की अक्टूबर 2008 की तलहटी 2253 और दिसंबर 2011 की तलहटी 4531 को मिलाने वाली रुझान रेखा (Trend Line) इसे बीते डेढ़ सालों में अच्छा सहारा देती रही है। ध्यान दें कि जून 2013 की तलहटी 5566 भी ठीक इसी रेखा पर टिकती है। अभी यह रुझान रेखा 5600 के कुछ ऊपर है और अगस्त महीने के दौरान 5700 की ओर बढ़ती दिखेगी। इस रेखा के नीचे जाने पर अगर ज्यादा बड़ी आशंकाएँ न भी पालें तो 2253-6339 की पूरी उछाल की केवल 23.6% वापसी ही निफ्टी को 5374 तक लुढ़का सकती है। पिछले 5 सालों से चल रही रुझान रेखा कटने पर इतना झटका तो लग ही सकता है। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 31 जुलाई 2013)

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