भारतीय शेयर बाजार मुख्य रूप से एफआईआई निवेश और कुल मिला कर विकास की संभावनाओं से संचालित होता है।
अगर महँगाई दर नियंत्रण में रहे और वैधानिक सुधारों को तेजी से लागू किया जाये तो भारतीय शेयर बाजार बेहतर प्रदर्शन करता रहेगा। लेकिन यदि विकास की गति मौजूदा स्तरों पर ही रही और अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने निकट भविष्य में ब्याज दरें बढ़ा दीं, तो इससे घरेलू बाजार से विदेशी पूँजी बाहर जाने लगेगी और बाजार में बड़ी गिरावट आ जायेगी। चिंता की बात यह है कि राज्यसभा में एनडीए के पास पर्याप्त सीटें नहीं है, लिहाजा वह अपने एजेंडे पर ठीक से काम नहीं कर पा रही है।
इसके अलावा पड़ोसी देशों की ओर से उत्तेजना और तनाव फैलाने से सीमा पर छोटे युद्ध जैसे हालात बन सकते हैं। कच्चे तेल की कीमतों में कटौती और डॉलर की तुलना में रुपये का गिरना भी बाजार के लिए चिंताजनक है। दूसरी ओर महँगाई दर 5% से नीचे जाने से आरबीआई रेपो दर में कटौती करेगा, जो बाजार के लिए सकारात्मक होगा।
बड़े बैंकों के साथ छोटे बैंकों का विलय और चालू खाता घाटा एवं सरकारी घाटे में गिरावट भी बाजार के लिए सकारात्मक पहलू हैं। पीएसयू क्षेत्र में विनिवेश से 1.50 लाख करोड़ रुपये तक प्राप्त हो सकते हैं। साल 2015-16 का संतुलित और विकास केंद्रित बजट आया तो यह भी बाजार के लिए सकारात्मक होगा। जगदीश ठक्कर, निदेशक, फॉर्च्यून फिस्कल (Jagdish Thakkar, Director, Fortune Fiscal)
(शेयर मंथन, 07 जनवरी 2015)