साल 2015 में सुधार केंद्रित नियामक परिवेश, वैश्विक नकदी की अधिकता और कमोडिटी की घटती कीमतों की वजह से भारतीय शेयर बाजार एक मजबूत ऊपरी चाल में बना रहेगा।
पर सबसे बड़ी चिंता यह है कि सरकार निवेशकों की उच्च अपेक्षाओं को पूरा कर पाने में असमर्थ हो सकती है। इसके अलावा, अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने पर एफआईआई निवेश भारतीय बाजार से वापस लौट सकता है, हालाँकि यूरोप और जापान में नकदी बढ़ाने के नये उपायों की वजह से ऐसा होता हुआ नहीं लगता। दूसरी ओर केंद्र में मजबूत, निर्णायक और सुधार केंद्रित सरकार का होना भारतीय बाजार के लिए सकारात्मक पहलू है। साथ ही कच्चे तेल की घटती कीमतों से व्यापार घाटे और वित्तीय घाटे में कमी आ रही है। पंकज पांडेय, रिसर्च प्रमुख, आईसीआईसीआई डायरेक्ट (Pankaj Pandey, Research Head, ICICI Direct)
(शेयर मंथन, 09 जनवरी 2015)