केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Central Statistics Office) यानी सीएसओ आज वित्त वर्ष 2017-18 के लिए जीडीपी वृद्धि के अग्रिम अनुमान जारी करेगा।
यह क्रिया केंद्र सरकार द्वारा बजट सत्र का समय फरवरी के अंत से बदल कर परवरी के ही शुरू में करने का बाद पिछले वर्ष ही शुरू हुई है। जानकारों का मानना है कि पिछले कुछ महीनों में कई क्षेत्रों में सुधार के कारण सीएसओ जीडीपी अनुमानों में वृद्धि कर सकता है। मगर यह भी माना जा रहा है कि चालू वित्त वर्ष में भी देश की अर्थव्यवस्था पर जीएसटी और नोटबंदी का असर जारी रह सकता है, जिससे भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7% से कम 6.5-6.8% के दायरे में रह सकती है, जो कि पिछले वित्त वर्ष में 7.1% रही थी। जीडीपी विकास दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में तीन साल के निचले स्तरों से उबरते हुए 5.7% और दूसरी तिमाही में 6.3% रही, यानी पहली छमाही में यह 6% रही।
2017 के केंद्रीय बजट में सरकार ने 11.75% की विकास दर के साथ 168.5 लाख करोड़ रुपये की नॉमिनल जीडीपी आँकी थी। अब एक तंग वित्तीय वर्ष में कम नॉमिनल जीडीपी के साथ सरकार के लिए 2017-18 में जीडीपी का 3.2% राजस्व घाटे का लक्ष्य हासिल करना बहुत मुश्किल होगा। इसके अलावा जिन आँकड़ों का जिक्र सीएसओ की रिपोर्ट में होगा, उनमें औद्योगिक विकास और सरकारी व्यय भी शामिल है। सरकार का सार्वजनिक व्यय सितंबर तिमाही घट कर 6% पर रहा है। औद्योगिक उत्पादन का इंडेक्स चालू वित्त वर्ष के पहले 7 महीनों में औसतन 2.5% की दर से बढ़ा है और सीएसओ के पास केवल अक्टूबर के ही अतिरिक्त आँकड़े होंगे। जानकारों का यह भी मानना है कि सीमित आँकड़ों के कारण आज आने वाले आँकड़े कम सटीक होंगे। जीडीपी के दूसरे अग्रिम आँकड़े 28 फरवरी को आयेंगे। (शेयर मंथन, 05 जनवरी 2018)