केंद्र सरकार ने 2018 में पीएसयू कंपनियों में हिस्सेदारी बेच कर 77,417 करोड़ रुपये की पूँजी जुटायी।
जानकारों का मानना है कि इस मामले में 2019 भी धमाकेदार साल हो सकता है, जिसमें सरकार की योजना सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया (Air India) का निजीकरण करने की भी है।
सरकार ने 2018 के दौरान ओएनजीसी द्वारा हिंदुस्तान पेट्रोलियम के अधिग्रहण, सीपीएसई ईटीएफ (CPSE ETF), भारत-22 ईटीएफ (Bharat-22 ETF), कोल इंडिया में हिस्सेदारी बिकवाली और 6 पीएसयू कंपनियों आईपीओ (IPO) के जरिये 77,417 करोड़ रुपये जुटाये गये। मगर सरकार की एयर इंडिया में 74% हिस्सेदारी बेचने की योजना पूरी नहीं हो सकी।
खबर है कि सरकार ने अब एयरलाइन की बिक्री के लिए एक नयी योजना बनायी है। योजना के तहत एयर इंडिया की सहायक कंपनियों एयर इंडिया एयर ट्रांसपोर्ट सर्विस एवं एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज के अलावा इसकी भूमि और भवन संपत्ति को अलग-अलग बेची जायेगी, जिससे कंपनी के 29,000 करोड़ रुपये के ऋण को कम करने में मदद मिलेगी। एयर इंडिया की सहायक कंपनियों और संपत्तियों से सरकार को 9,000 करोड़ रुपये प्राप्त होने की उम्मीद है। हालाँकि एयरलाइन का संचालन जारी रखने के लिए सरकारी की ओर एयर इंडिया के लिए आर्थिक सहायता भी जारी रहेगी।
इसके अलावा 2019 में ओएनजीसी, इंडियन ऑयल, ऑयल इंडिया आदि सहित 10 कंपनियों के बायबैक ऑफर के अलावा सरकार का ध्यान पीएसयू कंपनियों के विलय और अधिग्रहण पर रहेगा। इनमें पावर फाइनेंस और आरईसी के बीच हुआ सौदा प्रमुख है। वहीं एनटीपीसी एसजेवीएन में पूरी सरकारी हिस्सेदारी खरीदेगी। (शेयर मंथन, 01 जनवरी 2019)