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कई ब्लू चिप कंपनियों में 51% से कम हो सकती है सरकार की हिस्सेदारी

खबरों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के लिए रखे उच्च विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने चुनिंदा ब्लू चिप कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाने का प्रस्ताव रखा है।

हालाँकि इससे सरकार की इन कंपनियों में हिस्सेदारी 51% से कम हो सकती है। केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्रक उद्यम (सीपीएसई) होने के लिए कंपनी में सरकार की 51% हिस्सेदारी होना जरूरी है।
खबर में निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) के अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जल्द ही बाजार नियामक सेबी (SEBI) के डिफरेंशियल वोटिंग राइट्स (डीवीआर) पर नीति दिशानिर्देश जारी करने की उम्मीद है, जिससे नियंत्रण कमजोर पड़े बिना प्रमोटर पूँजी जुटा सकेंगे। इस नियम के लागू होने पर सरकार नियंत्रण खोये या किसी कंपनी के पीएसयू स्वरूप के बदले बिना सीपीएसई इकाइयों में उच्च हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर सकेगी।
इस समय दो दर्जन से ज्यादा सीपीएसई हैं, जिनमें सरकार की करीब 60% या इससे कम हिस्सेदारी है। इनमें कई महारात्न और नवरत्न कंपनियाँ हैं, जिनमें इंजीनियर्स इंडिया (52%), इंडियन ऑयल (52.18%), भारत पेट्रोलियम (53.29), गेल इंडिया (52.64%), ओएनजीसी (64.25%), पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (59.05%), पावर ग्रिड (55.37%), एनटीपीसी (56.19), शिपिंग कॉर्पोरेशन (63.75%), बीएचईएल (63.17%), एनबीसीसी (68.18%) और कंटेनर कॉर्पोरेशन (54.80%) शामिल हैं। (शेयर मंथन, 29 अप्रैल 2019)

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