अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष या इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) ने चालू वित्त-वर्ष में भारत की विकास दर (GDP growth) का अनुमान घटा कर 6.8% कर दिया है।
आईएमएफ ने भारत ही नहीं, पूरे विश्व की विकास दरों में नरमी आने के संकेत दिये हैं। इसके लिए आईएमएफ ने जहाँ रूस-यूक्रेन युद्ध को जिम्मेदार ठहराया है, वहीं वैश्विक स्तर पर सख्त मौद्रिक स्थिति और कोविड-19 महामारी के स्थायी असर का भी योगदान माना है।
आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे ओलिवर गोरिनचास ने वॉशिंगटन में मंगलवार को कहा कि भारत ने 2022 में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। इसके 2023 में भी काफी मजबूती से आगे बढ़ने का अनुमान है। मगर उन्होंने भारत की विकास दर इस साल 31 मार्च को खत्म 2021-22 वित्त-वर्ष में 8.7% के मुकाबले 6.8% रहने का अनुमान जताया।
उन्होंने कहा कि भारत में मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लक्ष्य से काफी ज्यादा है। इसे देखते हुए यहाँ मौद्रिक नीति में सख्ती बरता जाना समय की माँग है। आईएमएफ ने उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति 2022-23 के चालू वित्त-वर्ष में 6.9%, जबकि अगले साल 5.1% रहने का अनुमान जताया है। आईएमएफ अर्थशास्त्री डेनियल ली का मानना है कि भारत में मुद्रास्फीति की दर 2023-24 में सहनशीलता के दायरे में लौट आयेगी और मौद्रिक नीति में अतिरिक्त सख्ती यह सुनिश्चित करेगी कि ऐसा ही हो।
आईएमएफ ने समग्र रूप से पूरे विश्व के लिए विकास का अनुमान 2021 में 6% के मुकाबले घटा कर 2022 में 3.2% और 2023 में 2.7% कर दिया है। इस साल अमेरिका की विकास दर 1.6% रहेगी, जबकि अगले साल यह 1% रह जायेगी। यूरो क्षेत्र इस साल 3.1% की दर से बढ़ेगा, वहीं अगले साल यह 0.5% रह जाएगी। आईएमएफ ने इस साल चीन के लिए 4.4% विकास दर रहने का अनुमान जताया और अगले वित्त-वर्ष के लिए इसे 3.2% पर रखा है। (शेयर मंथन, 12 अक्टूबर 2022)