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दिसंबर तिमाही में 4.6% जीडीपी वृद्धि का अनुमान, के-आकार की रिकवरी से धीमा होगा औद्योगिक विकास

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के अर्थशास्त्रियों ने दिसंबर तिमाही के लिए 4.6% की जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है। एक अन्य रिपोर्ट में के-आकार की रिकवरी की वजह से औद्योगिक विकास की रफ्तार में कमी आने की भी आशंका जतायी गयी है।

एसबीआई के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अर्थव्यवस्था के 30 उच्च आवृत्ति संकेतक पिछली तिमाहियों की तरह मजबूत नहीं हैं। उनका यह अनुमान चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के 4.4% के पूर्वानुमान से अधिक है। यह अनुमान खराब कॉर्पोरेट परिणामों और एक्स-बीएफएसआई से भी उपजा है। इसमें दिखाया है कि तीसरी तिमाही में परिचालन लाभ बहुत धीमी 9% की दर से बढ़ा है, जो एक साल पहले की अवधि में दर्ज 18% का आधा है। एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में कहा कि शुद्ध बिक्री में 15% की गिरावट के बावजूद कंपनी का मुनाफा करीब 16% घट गया।

घोष ने कहा कि उन्हें पूरे वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर बढ़कर सात प्रतिशत पर पहुंचने की उम्मीद है, जो पहले 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। ऐसा इसलिए है क्योंकि सरकार को 28 फरवरी को वित्त वर्ष 2020, वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 22 के लिए जीडीपी आंकड़ों को संशोधित करने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा वित्त वर्ष 2020, वित्त वर्ष 2021, वित्त वर्ष 2022 और यहां तक कि वित्त वर्ष 2023 की पहली और दूसरी तिमाही के तिमाही आंकड़ों में भी संशोधन किया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार, कॉरपोरेट मार्जिन दबाव में दिख रहा है, जैसा कि वित्तीय सेवा कंपनियों को छोड़कर लगभग 3,000 सूचीबद्ध कंपनियों के परिणामों में परिलक्षित होता है, क्योंकि मार्जिन में कमी के साथ उच्च इनपुट लागत है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही में मार्जिन 15.3 फीसदी से घटकर वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में 11.9 फीसदी रह गया।

K-आकार की रिकवरी से औद्योगिक विकास की थमेगी रफ्तार

इंडिया रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि उसे वित्त वर्ष 2024 में जीडीपी वृद्धि दर 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो अन्य अनुमानों से कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि वृद्धि के कुछ सकारात्मक पहलू हैं जैसे कि निरंतर सरकारी पूंजीगत व्यय, कम कंपनियां, कम एनपीए, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना और वैश्विक जिंस कीमतों में वृद्धि, फिर भी वे वित्त वर्ष 2024 में जीडीपी वृद्धि को 6% से ऊपर ले जाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। एजेंसी के प्रधान अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि एक अन्य कारण वैश्विक मंदी के कारण वस्तुओं के निर्यात में गिरावट और वस्तुओं के आयात में आनुपातिक रूप से कमी नहीं आना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि के-आकार की रिकवरी के कारण औद्योगिक विकास धीमा रहने की उम्मीद है, जो न तो उपभोग की मांग को व्यापक होने दे रहा है और न ही विशेष रूप से आय पिरामिड के निचले आधे हिस्से से संबंधित आबादी की मजदूरी वृद्धि में मदद कर रहा है। औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024 में 4.1% से घटकर 3.9 % रहने का अनुमान है। दूसरी ओर जीडीपी के सबसे बड़े घटक सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 7.3% रहने का अनुमान है जो वित्त वर्ष 2023 में 9.1 प्रतिशत थी।

(शेयर मंथन, 22 फरवरी 2023)

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