नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (एनएसई) ने अखिल भारतीय वितरण तंत्र को सुविधाजनक बनाने के लिए, तीन नए शहरों मुंबई, दिल्ली और चेन्नई में कमोडिटी डेरिवेटिव्स सेगमेंट में अतिरिक्त वितरण केंद्रों की शुरुआत की है, जिसे 25 जनवरी, 2019 से प्रभावी कर दिया गया है।
इससे पहले, सर्राफा अनुबंधों के निपटान तंत्र के हिस्से के रूप में, अहमदाबाद को ही आधार केंद्र और मुख्य/प्राथमिक वितरण केंद्र के रूप में माना जाता था।
रवि वाराणसी, मुख्य व्यवसाय विकास अधिकारी, एनएसई ने बताया कि हम डिलीवरी और उपभोग केंद्र के बीच की खाई को कम करके काफी खुश हैं। इससे अलग-अलग स्थानों पर वस्तुओं की डिलीवरी को सुविधाजनक बनाने में मदद मिलेगी।
मोलतोल.इन के सलाहकार संपादक कमल शर्मा का कहना है कि जिन जगहों पर किसी चीज का उत्पादन नहीं होता है। वहाँ पर डेरीवेटिव्स सेंटर बनाये जाने से उपभोक्ताओं को उतना फायदा नहीं मिलने वाला है। जैसे- एग्री कमोडिटीज के लिए वहाँ पर सेंटर बनाना चाहिए, जिन जगहों पर एग्री का उत्पादन ज्यादा होता है। इससे ट्रांसपोर्टेशन लागत कम होगी। बेसमेटल्स के लिए दिल्ली, मुंबई और गोबिंदगढ़ में सेंटर बनाना चाहिए। सोने-चाँदी के लिए अहमदाबाद, इंदौर, जलगाँव, राजकोट व दिल्ली में बनाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कारोबार केवल सेंटर बनाने से नही बढ़ता, बल्कि कारोबार की क्वालिटी भी बेहतर बनानी होगी। कमोडिटी कारोबार में घटते वॉल्यूम की यही मुख्य वजह है। (शेयर मंथन, 31 जनवरी 2019)
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