ब्रोकिंग फर्म प्रभुदास लीलाधर ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के तिमाही नतीजों के बाद जारी रिपोर्ट में इसे एकम्युलेट यानी निचले भावों पर जमा करते रहने की सलाह दी है।
फर्म ने रिलायंस की आय (ईपीएस) के बारे में अपने पिछले अनुमानों को कायम रखा है और इसका लक्ष्य भाव 1,094 रुपये बताया है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने वित्त वर्ष 2016-17 की तीसरी तिमाही में अपना सबसे अधिक तिमाही मुनाफा दर्ज किया। प्रभुदास लीलाधर (पीएल) ने कंपनी के 108. 08 अरब रुपये के स्टैंडअलोन एबिटा का अनुमान लगाया था, जो 106 अरब रुपये रहा, । जबकि कर के बादइसका तिमाही शुद्ध लाभ 79.3 अरब रुपये के अनुमान के मुकाबले 80.2 अरब रुपये रहा। इन बेहतर परिणामों को निवेश की बिक्री से हासिल उच्च अन्य आय के साथ-साथ स्वस्थ रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल्स डिविजनों से भी सहारा मिला।
इसी इस तिमाही में एफसीसीयू के बंद होने से पेट्रोल और प्रोपिलीन की मात्रा पर पड़े प्रभाव के बावजूद कंपनी का सकल रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम), पीएल के अनुमानित 11.5 डॉलर प्रति बैरल के मुकाबले 10.8 डॉलर प्रति बैरल के मजबूत स्तर पर रहा, हालाँकि प्रभुदास लीलाधर का अनुमान 11.5 डॉलर प्रति बैरल का था। रखरखाव के की वजह से संयंत्र बंद होने रुक जाने और नोटबंदी के कारण माँग पर पड़े असर के बावजूद पेट्रोकेमिकल्स कारोबार की लाभकारिता मजबूत रही। और कंपनी घरेलू बाजार में माँग के में आयी कमी की भरपाई के लिए बिगड़ जाने पर भी निर्यात की मात्रा को संभालने बढ़ाने में कामयाब रही।
हालांकि हालाँकि बीती तिमाही के दौरान रिलायंस के खोज और उत्पादन (ईऐंडपी) विभाग ने निराश किया। पेट्रोकेमिकल्स कारोबार का एबिट सालाना आधार पर 30% की बढ़त के साथ 33.6 अरब रुपये रहा, जिसे पॉलिमर्स की माँग में हुई 5% वृद्धि और कुछ स्थिर डेल्टाओं से सहारा मिला। कम मात्रा के कारण ईऐंडपी एबिट -1.25 अरब रुपये रहा। इस अवधि के दौरान कंपनी को केजीडी6 से प्रति दिन 7.5 मिलियन मीट्रिक स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर (एमएमएससीएमडी) गैस प्राप्त हुई, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 की समान अवधि में 10.7 एमएमएससीएमडी प्राप्त हुई थी। हालांकि अब कंपनी ने प्राकृतिक गिरावट से निपटने के लिए एमए फील्ड मात्रा को समर्थन देने के लिए दो पक्ष ट्रैक परियोजनाओं की शुरुआत की है।
इसके साथ ही रिलायंस ने 2016-17 की तीसरी तिमाही की समाप्ति तक रिलायंस जियो पर 1,710 अरब रुपये का पूँजीगत व्यय किया, जिसमें स्पेैक्ट्रम अधिग्रहण के लिए खर्च किये गये 140 अरब रुपये भी शामिल हैं। प्रति दिन 6 लाख नये उपभोक्ताओं के जुड़ने के साथ वर्तमान में रिलायंस जियो के 7.2 करोड़ उपभोक्ता हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान जियो के मौजूदा 70% नेटवर्क कवरेज को बढ़ा कर 90% से अधिक करने के लिए 300 अरब रुपये के निवेश की योजना बनायी है।
दूसरी ओर रिलायंस की परियोजना में कुछ देरी दर्ज की गयी। मगर कंपनी की पैरेक्सिलीन परियोजना के अन्य 2 चरण भी चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में, ऑफगैस क्रेकर क्रैकर अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान और उसी तिमाही के अंत तक पेटकोॉक गैसीकरण परियोजना की पूरी यांत्रिक शुरुआत हो जायेगी।
आज मंगलवार के कारोबार में रिलायंस का शेयर भाव कमजोर चल रहा है। बीएसई में दोपहर करीब डेढ़ बजे यह 30.20 रुपये या 2.80% के नुकसान के साथ 1,046.80 रुपये पर है।(शेयर मंथन, 17 जनवरी 2017)
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