शेयर बाजार में हाल के महीनों में रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) ने बाजार से कुछ अलग ही चलते हुए अच्छी मजबूती दिखायी है। फेसबुक (Facebook) और वैश्विक स्तर के प्राइवेट इक्विटी निवेशकों की ओर से जियो प्लेटफॉर्म्स (Jio Platforms) में भारी निवेश ने भी इस शेयर को लेकर बाजार में उत्साह पैदा हुआ है।
इस समय कंपनी का राइट्स इश्यू (Rights Issue) खुला हुआ है। आइये देखें कंपनी के बारे में बाजार के कुछ जाने-माने नाम इस समय क्या सोच रहे हैं।
प्रभुदास लीलाधर की जेएमडी अमीषा वोरा कहती हैं, "रिलायंस के रूपांतरण की यह कवायद हमारे समय में होने वाले सबसे शानदार रूपांतरणों में से एक है। इसमें दिखता है कि एक कंपनी एक पुराने कारोबार से पैदा होने वाली बहुत भारी नकदी का उपयोग करके ऐसे इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश कर रही है, जिससे भविष्य की कंपनी का निर्माण हो रहा है। इसलिए मैं उनकी क्षमता और दृष्टि, दोनों की बहुत प्रशंसा करती हूँ। राइट्स इश्यू एक पुराना पसंदीदा साधन रहा है और सेबी ने इसमें राइट्स की खरीद-बिक्री का नियम लागू कर दिया है। साथ ही रिलायंस के राइट्स इश्यू में आंशिक भुगतान के चलते भी निवेशकों पर एक साथ सारा बोझ नहीं पड़ेगा और वे रिलायंस, रिलायंस जियो एवं रिलायंस रिटेल की आगे की यात्रा के साथ-साथ पैसा बना सकेंगे। इसलिए मुझे यह पसंद आ रहा है।"
ग्लोबल फोरे के संस्थापक-चेयरमैन पशुपति आडवाणी कहते हैं कि एक ऐसे समय में जब हर किसी का कामकाज बंद था या बहुत धीरे चल रहा था, रिलायंस के अधिकांश व्यवसाय आवश्यक सेवाओं में शामिल थे और पूरी गति से कामकाज चल रहा था। इसमें केवल रिलायंस रिटेल अपवाद रहा। जिओ के लिए रिलायंस ने जिस तरह से पूँजी जुटायी है, वह असाधारण है। अब इसका राइट्स इश्यू रिलायंस को ऋण-मुक्त कंपनी बनाने की दिशा में एक दिलचस्प कदम है।
राइट्स इश्यू खुलने के दिन रिलायंस राइट्स में काफी ऊँची कारोबारी मात्रा पर ध्यान दिलाते हुए भारत भूषण इक्विटी ट्रेडर्स के निदेशक विजय भूषण का कहना है कि इससे रिलायंस के खुदरा शेयरधारकों को अपने राइट्स बेच कर तुरंत लाभ कमाने का मौका मिलेगा। वहीं रुद्र शेयर्स के एमडी सुनील बंसल का कहना है कि रिलायंस का राइट्स इश्यू मौजदा शेयर भावों से कुछ खास सस्ता नहीं है।
रिस्क कैपिटल एडवाइजरी के सीएमडी डी. डी. शर्मा कहते हैं, "मैं लंबी अवधि में इस शेयर के लिए सकारात्मक हूँ, क्योंकि एक टेक्नोलॉजी कंपनी और साथ ही एक बड़ी रिटेल/ईकॉमर्स कंपनी में इसका रूपांतरण हो रहा है। अगले 2-3 वर्षों में इन व्यवसायों को पृथक किया जायेगा, जिससे काफी मूल्य-वृद्धि होगी।"
एस्कॉर्ट्स सिक्योरिटीज के पूर्व निदेशक अशोक अग्रवाल के शब्दों में रिलायंस के राइट्स इश्यू में आंशिक भुगतान वाले शेयरों को एक साल तक रखे रहना जरूरी होगा, जब तक उनका पूरा भुगतान नहीं हो जाता। इससे अगले एक साल में बाजार में रिलायंस के शेयरों की आपूर्ति सीमित रहेगी। कंपनी के रूपांतरण पर उनका कहना है कि तेल की कीमतों में कमी और वैश्विक भू-राजनीतिक स्थितियों के कारण पेट्रोलियम क्षेत्र के सितारे गर्दिश में हैं। वहीं संस्थागत निवेशक जियो को हाथों-हाथ लपक रहे हैं। अग्रवाल कहते हैं, "रिलायंस एक कमोडिटी कंपनी से एक टेक कंपनी में बदल रही है, जबकि इसका स्वामित्व और नेतृत्व एक गैर-टेक्नोक्रेट के पास है। मगर रिलायंस मुझे और बाजार को हमेशा ही चौंकाती रही है।"
इनॉक वेंचर्स के एमडी एवं सीईओ विजय चोपड़ा के अनुसार रिलायंस का शेयर भाव 1,600-1,650 रुपये तक जा सकता है। वे कहते हैं कि यह उचित समय है, जब लोगों को रिलायंस में मुनाफावसूली कर लेनी चाहिए। उनकी राय में इस समय बहुत से और भी अच्छे शेयर हैं जो काफी सस्ते मूल्यांकनों पर उपलब्ध हैं, जैसे कि बीएचईएल, सेल, हिंदुस्तान कॉपर, मॉइल, मिश्र धातु, हिंडाल्को, आईटीसी वगैरह। वहीं रिलायंस इन भावों पर अब खिंच गया है और इसके टेलीकॉम कारोबार में काफी इक्विटी डाइल्यूशन हो गया है। वे रिलायंस को लेकर मंदी का नजरिया नहीं रख रहे, मगर कहते हैं कि अब वे इसमें तेजी का नजरिया रख कर भी नहीं चल रहे।
बाजार विशेषज्ञ शर्मिला जोशी कहती हैं कि जियो केवल एक टेलीकॉम खिलाड़ी होने से कहीं ज्यादा बड़ी भूमिका निभाने वाली है। जियो ने पूरे टेलीकॉम क्षेत्र को नया जीवन दिया है।
सननेस कैपिटल इंडिया के वीपी – इक्विटी रिसर्च संजीव जैन के मुताबिक फेसबुक समेत विदेशी निवेशकों की ओर से रिलायंस जियो में किये गये निवेश ने जियो का मूल्यांकन 5,000 अरब रुपये के ऊपर पहुँचा दिया है। उनका मानना है कि निवेश के ये सौदे रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए काफी सकारात्मक हैं।
क्वांट रोबो एनालिटिक्स के एमडी एवं सीईओ अमरजीत सिंह कहते हैं कि रिलायंस इंडस्ट्रीज अब सच्चे अर्थों में एक विविधीकृत (डाइवर्सिफाइड) कंपनी बन गयी है, जो टेलीकॉम, डिजिटल टेक्नोलॉजी और रिटेल में बहुत बड़ी उपस्थिति रखती है। ये सभी क्षेत्र इस समय काफी संभावनाओं वाले क्षेत्र लग रहे हैं। अब रिलायंस केवल तेल-गैस कंपनी नहीं रह गयी है।
बाजार विश्लेषक अरविंद पृथी कहते हैं कि इस राइट्स इश्यू में स्वयं प्रमोटरों का आवेदन करना काफी विश्वास बढ़ाता है। वैश्विक रूप से अभी कठिन परिवेश है, मगर जियो में निवेश के लिए कई प्रतिष्ठित निवेशकों की कतार लग गयी, जो न केवल रिलायंस बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था में भरोसे का एक प्रमाण है।
क्रेडेंट एसेट मैनेजमेंट के एवीपी नवीन नाथ का मानना है कि एक पेट्रोकेमिकल कंपनी से टेलीकॉम कंपनी और फिर एक शुद्ध डिजिटल सेवा कंपनी के तौर पर इसका रूपांतरण इसके भाग्य को बदलने वाला है। रिलायंस को ऋण-मुक्त बनाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के लिए भी यह रूपांतरण काफी सहायक है। नाथ यह भी कहते हैं कि वर्तमान स्थितियों में कोविड-19 के बाद डिजिटल कारोबार काफी अच्छा चलने की आशा है। टेलीकॉम क्षेत्र में अब गिनी-चुनी कंपनियाँ ही बाकी बची हैं। मुख्य मुकाबला केवल जियो और भारती के बीच बाकी है। इसलिए रिलायंस का आने वाला समय अच्छा रहने वाला है। जियो-फेसबुक सौदे से कंपनी को डिजिटल वैलेट कारोबार और ईकॉमर्स में कदम फैलाने में काफी मदद मिलेगी। इसलिए नवीन मानते हैं कि यह रूपांतरण काफी सटीक समय पर हो रहा है, जो रिलायंस के भविष्य को काफी अच्छा बना देगा। (शेयर मंथन, 21 मई 2020)
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