सोयाबीन (मार्च) वायदा की कीमतें 3,800 रुपये के नजदीक सहारे के साथ बढ़त दर्ज कर सकती हैं।
मिलों द्वारा पेराई के लिए रोजना 20,000 टन सोयाबीन की जरूरत है। लेकिन कुल आवक 10,000-12,000 ही हो रही है। मिलें अपनी पेराई जरूरतों को पुराने स्टॉक से पूरा कर रही हैं। पेराई मार्जिन 170 रुपये प्रति टन है, जिसके कारण मिलें अधिक कीमतों पर भी सोयाबीन की खरीदारी कर रही हैं। रिफाइंड सोया तेल वायदा (अप्रैल) की कीमतों तेजी के रुझान के साथ 800 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती हैं, जबकि आयात शुल्क में बढ़ोतरी के कारण सीपीओ (मार्च) वायदा की अब तक के उच्च स्तर 652-660 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती हैं। सरकार द्वारा खाद्य तेलों पर आयात शुल्कों में बढ़ोतरी के कारण हाजिर बाजारों में कीमतों में तेजी का रुझान है। सरकार ने कच्चे पॉम तेल पर आयात शुल्क 30% से बढ़ा कर 44% और रिफाइंड तेल पर आयात शुल्क 40% से बढ़ा कर 54% कर दिया है। यह पिछले छह महीनों में तीसरी बार बढ़ोतरी की गयी है। सरसों वायदा (अप्रैल) की कीमतें कल उछल के साथ खुली थी और इसलिए 4,120 रुपये के सपोर्ट स्तर पर पहुँच सकती है। इसके बाद कीमतों को 4,120-4,175 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। हाजिर बाजारों में सरसों की कीमतें 4,160-4,165 रुपये, सरसों तेल की कीमतें 804-805 रुपये प्रति 10 किलो ग्राम के दायरे में है। हाजिर बाजार में माँग बेहतर है। लेकिन पेराई मिलें अधिक कीमतों पर सरसों की खरीदारी करने को लेकर सर्तक है क्योंकि नयी फसल की आवक में बढ़ोतरी होने से कीमतों की बढ़त पर रोक लग सकती है। (शेयर मंथन, 06 मार्च 2018)
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