सोयाबीन वायदा (मई) की कीमतों के 3,750-3,950 रुपये के दायरे में कारोबार करने की की संभावना है।
धीमी आवक और रुपये के कमजोर होने से सायोमील के निर्यात में बढ़ोतरी होने की संभावना से कीमतों को मदद मिल सकती है। सोपा के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार अक्टूबर से शुरु मौजूदा सीजन 2017-18 में मार्च तक 52.39 लाख टन खपत के बाद कारोबारियों, किसानों और पेराई मिलों के पास 32.11 लाख टन सोयाबीन का स्टॉक बचा हुआ है। रिफाइंड सोया तेल वायदा (मई) की कीमतों में 770-765 रुपये तक गिरावट जारी रह सकती हैं। सोया तेल की आपूर्ति काफी अधिक रहने की संभावना है क्योंकि 14 अप्रैल भारतीय बंदरगाहों पर लगभग 1,23,290 टन सोया तेल के पहुँचने की संभावना है, जिससे कीमतों पर दबाव रह सकता है। हाजिर बाजारों में नरमी के रुझान के कारण सीपीओ वायदा (अप्रैल) की कीमतों में गिरावट जारी रहने की संभावना है और कीमतें 633 रुपये तक लुढ़क सकती हैं। बाजारों में पॉम ऑयल की माँग काफी कम है, इसलिए थोक खरीदार बाजार से दूरी बनाए हुए हैं। सरसों वायदा (मई) की कीमतों को 3,850 रुपये के नजदीक सहारा रह सकता है और निचले स्तर से रिकवरी हो सकती है। कम आवक के साथ ही सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीदारी और स्टॉकिस्टों, कारोबारियों और पेराई मिलों की ओर से बेहतर माँग के कारण कीमतों को मदद मिल सकती है। इस बीच मध्य प्रदेश सरकार ने सरसों की खरीदारी की अवधि को 31 मई से बढ़ाकर 9 जून कर दिया है और केन्द्र सरकार ने मौजूदा सीजन 2017-18 में उतर प्रदेश से 1,60,000 टन सरसों की खरीदारी करने की मंजूरी दे दी है, जिससे सरसों की कीमतों को मदद मिलने की संभावना है। (शेयर मंथन, 16 अप्रैल 2018)
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