सोयाबीन वायदा (जुलाई) की कीमतों में 3,435 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ 3,500-3,520 रुपये तक रिकवरी होने की संभावना हैं।
यद्यपि सोयाबीन की माँग उत्साहजनक है, लेकिन देश में सोयाबीन का काफी कम स्टॉक बचा होने के कारण मौजूदा स्तर पर कीमतों को मदद मिलने की संभावना है। मॉनसून के कमजोर होने से उत्पादन क्षेत्रों में बुआई में सुस्ती के कारण भी कीमतों को मदद मिल सकती है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार मॉनसून अगले एक हफ्ते तक कमजोर रह सकता है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार मौजूदा सीजन 2017-18 में सोयाबीन का अंतिम स्टॉक कई वर्षो में सबसे कम 1 लाख टन रह गया है।
वहीं कम आयात के कारण रिफाइंड सोया तेल वायदा (जुलाई) की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 745-755 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है, जबकि सीपीओ वायदा (जून) की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 632-645 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी के कारण कीमतों को मदद मिल सकती है। भारत सरकार ने कच्चे सोया तेल पर आयात शुल्क 30% से बढ़ा कर 35% और सुरजमुखी और कैनोला तेल पर 25% से बढ़ा कर 35% कर दिया है, जबकि रिफाइंड तेलों पर आयात शुल्क 40% से बढ़ा कर 45% कर दिया है। सरसों वायदा (जुलाई) की कीमतों में 4,030-4,050 रुपये तक तेजी बरकरार रहने की संभावना है। हाजिर बाजारों में कम होती आवक के बीच मिलों की ओर से सरसों की माँग अधिक होने के कारण कीमतों को मदद मिल सकती है। (शेयर मंथन, 18 जून 2018)
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