हल्दी वायदा (सितंबर) की कीमतें 6,700 रुपये के स्तर से नीचे टूट कर 6,650-6,600 रुपये तक गिर सकती हैं।
समुचित घरेलू माँग के अभाव और खराब क्वालिटी के कारण हाजिर बाजारों में हल्दी की सभी वेराइटी की कीमतों में गिरावट हो रही है। मौजूदा मॉनसून में बेहतर उत्पादन की उम्मीद से कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। केरल और इरोद में बाढ़ और अधिक बारिश से फसल के प्रभावित होने के बावजूद अधिक उत्पादन क्षेत्रों के कारण हल्दी का उत्पादन अधिक होने का अनुमान है।
चार्ट पर जीरा वायदा (सितंबर) की कीमतों को 18,880 रुपये के नजदीक सहारा रह सकता है और कीमतों में स्थिरता रह सकती है। डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने और विदेशों से अधिक माँग जैसे बेहतर फंडामेंटल के कारण कीमतों को मदद मिल सकती है। दूसरी ओर प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में कम बारिश हुई है और अगले कुछ हफ्ते तक यही स्थिति बरकरार रहती है तो जीरे की कीमतों में उछाल दर्ज की जा सकती है।
घरेलू बाजार में कमजोर माँग के मुकाबले पूराने स्टॉक की बढ़ी हुई आपूर्ति के कारण धनिया वायदा (सितंबर) की कीमतों का फंडा मेंटल काफी कमजोर है और कीमतें एक महीने के निचले स्तर पर कारोबार कर रही हैं। राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश की मंडियों में मध्यम और खराब क्वालिटी की बढ़ी हुई आवक के कारण कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 4,600-4,700 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
इलायची वायदा (अक्टूबर) की कीमतों को 1,400 रुपये के स्तर पर बाधा रह सकती है। इसकी कीमतों की बढ़त पर रोक लगी रह सकती है, क्योंकि सितंबर में दूसरे दौर के फसल की कटाई होगी और नीलामी केन्द्रों पर आवक में बढ़ोतरी होगी। (शेयर मंथन, 04 सितंबर 2018)
चार्ट पर जीरा वायदा (सितंबर) की कीमतों को 18,880 रुपये के नजदीक सहारा रह सकता है और कीमतों में स्थिरता रह सकती है। डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने और विदेशों से अधिक माँग जैसे बेहतर फंडामेंटल के कारण कीमतों को मदद मिल सकती है। दूसरी ओर प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में कम बारिश हुई है और अगले कुछ हफ्ते तक यही स्थिति बरकरार रहती है तो जीरे की कीमतों में उछाल दर्ज की जा सकती है।
घरेलू बाजार में कमजोर माँग के मुकाबले पूराने स्टॉक की बढ़ी हुई आपूर्ति के कारण धनिया वायदा (सितंबर) की कीमतों का फंडा मेंटल काफी कमजोर है और कीमतें एक महीने के निचले स्तर पर कारोबार कर रही हैं। राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश की मंडियों में मध्यम और खराब क्वालिटी की बढ़ी हुई आवक के कारण कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 4,600-4,700 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
इलायची वायदा (अक्टूबर) की कीमतों को 1,400 रुपये के स्तर पर बाधा रह सकती है। इसकी कीमतों की बढ़त पर रोक लगी रह सकती है, क्योंकि सितंबर में दूसरे दौर के फसल की कटाई होगी और नीलामी केन्द्रों पर आवक में बढ़ोतरी होगी। (शेयर मंथन, 04 सितंबर 2018)
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