सोयाबीन वायदा (नवंबर) की कीमतों में तेजी रहने की संभावना है।
सोयाबीन की कीमतें यदि 3,285 रुपये के स्तर से ऊपर बरकरार रहती है तो इसमें 3,330-3,350 रुपये तक बढ़त दर्ज की जा सकती है। क्योंकि सरकार ने अक्टूबर से शुरू होने वाले मौजूदा खरीफ बाजार वर्ष में नौ राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तिलहनों की खरीदारी करने की अनुमति दे दी है। इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीदारी करने के लिए पंजीकरण की तारीख को 24 अक्टूबर से बढ़ा कर 15 नवंबर कर दिया है। लेकिन उच्च स्तर पर मुनाफा वसूली से इंकार नही किया जा सकता क्योंकि साफ मौसम के बीच सोयाबीन की फसल कटाई जोर-शोर से होने के कारण आवक में प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है। भारतीय सोयाबीन प्रोसेसर संगठन के अनुसार 2018-19 (अक्टूबर-सितबंर) सोयाबीन का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 37% की वृद्धि के साथ 11.48 मिलियन टन होने का अनुमान है।
सरसों वायदा (नवंबर) की कीमतों में तेजी का रुझान रह सकता है। इसलिए 4,250 रुपये तक की बढ़त के लिए 4,170 रुपये के नजदीक खरीदारी की जा सकती है। चीन द्वारा भारतीय सरसोंमील के आयात पर लगे प्रतिबंध को हटा लिये जाने के बाद सरसोंमील के बेहतर निर्यात की संभावना से कीमतों को मदद मिल सकती है। इसलिए कुछ पेराई मिलों ने सरसों की खरीदारी बढ़ा दी है। लेकिन कीमतों में बढ़त सीमित रह सकती है क्योंकि सरसों की बुआई जल्द ही शुरू होने वाली है और मौजूदा स्टॉक देश की माँग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
सीपीओ (नवंबर) वायदा में 560 रुपये के नजदीक निचले स्तर पर खरीदारी हो सकती है क्योंकि मलेशियन पॉम ऑयल की कीमतों में नरमी के रुझान पर पिछले कुछ दिनों में कीमतों में तेजी से गिरावट हुई है। घरेलू तिलहन बाजार में तेजी के सेंटीमेंट से भी कीमतों को मदद मिल सकती है। लेकिन कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और सीबोट में सोया तेल की कीमतों में गिरावट से बढ़त पर रोक लग सकती है। (शेयर मंथन, 29 अक्टूबर 2018)
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