एसएमसी कमोडिटीज ने अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट में जिक्र किया है कि सोयाबीन वायदा (जनवरी) की कीमतों के फिर से 3,310-3,410 रुपये के दायरे में ही बरकरार रहने की संभावना है।
791 रुपये प्रति टन की बेहतर पेराई मार्जिन के कारण सोयाबीन की माँग अच्छी है और कारोबारी सोयाबीन की खरीदारी कर रहे हैं। इसके विपरीत विदेशी बाजारों में भारतीय सोयामील 100 डॉलर महंगा हो गया है और डॉलर के मुकाबले रुपये में अस्थिरता के कारण भारत से 1 लाख टन सोयाबीन निर्यात करार के रद्द होने की भी खबरें हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कारोबारी अभी भी चीन की ओर से सोयाबीन की नयी खरीद की खबर का इंतेजार कर रहे हैं, क्योंकि अमेरिकी सरकार की आंशिक कार्यबंदी के कारण यूएसडीए रोजाना रिपोर्ट जारी करने में सक्षम नहीं है।
सरसों वायदा (जनवरी) की कीमतें 3,880 रुपये के अहम सहारा स्तर से नीचे टूटने की स्थिति में है और इस स्तर से टूटने के बाद 3,800 रुपये तक गिरावट हो सकती है। सरसों का पर्याप्त स्टॉक, बुआई की अच्छी रफ्तार और कमजोर माँग के कारण कीमतों पर दबाव बना रह सकता है। इस सीजन में सूखे के कारण किसानों के दालों के स्थान पर सरसों की बुआई करने के कारण सरसों का उत्पादन क्षेत्र पिछले वर्ष की तुलना में 8-10% अधिक रहने का अनुमान है।
सीपीओ (जनवरी) वायदा की कीमतों में 520-525 रुपये तक रिकवरी दर्ज की जा सकती है, जबकि रिफाइंड सोया तेल (जनवरी) वायदा की कीमतों को 715 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है और गिरावट पर रोक लगी रह सकती है। भारत और मलेशिया के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते के लागू होने से पहले आयात शुल्क में 4% की कटौती के अनुमान से घरेलू बाजार में कीमतों को मदद मिल सकती है। (शेयर मंथन, 31 दिसंबर 2018)
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