कपास वायदा (जुलाई) की कीमतें नरमी के रुझान के साथ सीमित दायरे में कारोबार कर सकती है।
कपास की कीमतें 20,800 रुपये तक लुढ़क सकती हैं। कारोबारी काफी सतर्क हैं और बुआई की प्रगति पर पैनी नजर रखे हुए हैं। आईसीई में कॉटन के अधिकांश कॉन्ट्रैक्ट की कीमतें 167 अंकों की गिरावट के साथ 63.46 पर बंद हुई हैं।
यूएसडीए के अनुसार बाजार वर्ष 2019-20 में भारत में कपास का उत्पादन 1.25 करोड़ हेक्टेयर में 2.93 करोड़ बेल (1 बेल 480 पौंड का) होने का अनुमान है। देश के शेष भागों की ओर से मॉनसून की तेज प्रगति से अच्छी बारिश होने की संभावना है। बाजार वर्ष 2019-20 में कपास की उत्पादकता लगभग 510 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रहने का अनुमान है, जो अब तक के औसत स्तर से अधिक है।
कैस्टरसीड वायदा (अगस्त) की कीमतें 5,650 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ 5,720-5,750 रुपये तक बढ़त दर्ज कर सकती हैं। गुजरात के हाजिर बाजारों में आवक में कमी और घरेलू स्टॉकिस्टों की ओर से अधिक माँग के कारण कीमतों में तेजी का रुझान है। कृषि मंत्रालय के अनुसार 2019-20 में कैस्टर का उत्पादन क्षेत्र पिछले गुरूवार तक 15,400 हेक्टेयर रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 38% कम है। तेलंगाना में कैस्टर का उत्पादन क्षेत्र पिछले वर्ष की तुलना में 69% कम होकर 3,600 हेक्टेयर रह गया है। लेकिन गुजरात में कैस्टर का उत्पादन क्षेत्रों पिछले वर्ष के 1,000 हेक्टेयर की तुलना में बढ़कर 2,100 हेक्टेयर हो गया है।
मॉनसून के धीमा होने के कारण ग्वारसीड वायदा (अगस्त) की कीमतें 4,410 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ 4,470-4,490 रुपये तक बढ़त दर्ज कर सकती हैं। ऐसा अनुमान है कि 15 जुलाई के बाद दक्षिण-पश्चिम मॉनसून रुक सकता है। (शेयर मंथन, 10 जुलाई 2019)
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