हल्दी वायदा (अक्टूबर) की कीमतों को 6,200 रुपये के स्तर पर बाधा रहने की संभावना है।
इसका कारण यह है कि प्रमुख उत्पादक राज्यों में बेहतर बारिश के कारण मौजूदा 2019-20 (जुलाई-जून) सीजन में उत्पादकता अधिक रहने का अनुमान है। हाजिर बाजार में सुस्त माँग और पर्याप्त आवक से भी कीमतों में गिरावट हो सकती है। रेगुलेटेड मार्केट कमिटी में फिंगर वेराइटी की हल्दी की कीमतों में 200 रुपये प्रति 100 किलोग्राम की गिरावट हुई है, जबकि इरोड को-ऑपरेटिव मार्केटिंग सोसाइटी में 100 रुपये प्रति 100 किलोग्राम की गिरावट हुई है।
इरोड टर्मरिक मर्चेंट्स एसोसिएशन सेल्स यार्ड में फिंगर वेराइटी की कीमतें 5,800-6,877 रुपये और रूट वेराइटी की कीमतें 5,389-6,399 रुपये के दायरे में बिक रही हैं।
पिछले हफ्ते जीरा वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में 5 महीने के निचले स्तर 16,340 रुपये से मामूली रिकवरी हुई। इस हफ्ते शॉर्ट कवरिंग (जवाबी खरीद) पर रोक लग
सकती है और कीमतों को 16,800-16,850 रुपये के स्तर पर बाधा का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि सेंटीमेंट अभी भी नरमी का है। जीरा के सबसे बड़े उत्पादक गुजरात में अच्छी बारिश ने आगामी सीजन में उत्पादन का अनुमान हैं। घरेलू खरीदारों की सुस्त माँग और पर्याप्त स्टॉक के कारण ऊंझा में कीमतों में नरमी देखी जा रही हैं।
धनिया वायदा (अक्टूबर) की कीमतें 6,100-6,200 रुपये के दायरे में स्थिर कारोबार कर सकती हैं। स्टॉकिस्टों की ओर से सुस्त खरीदारी और बढ़ी हुई आवक कीमतों में नरमी का सेंटीमेंट है। बादामी मशीन साफ किस्म की धनिया 6,900 रुपये प्रति 100 किलोग्राम और ईगल किस्म 7,400 रुपये में बेची जा रही है। रूस और यूक्रेन से आयात में वृद्धि की रिपोर्ट और राजस्थान में बारिश की अच्छी प्रगति के कारण आगामी रबी सीजन में बुवाई में वृद्धि की संभावना से भी कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। (शेयर मंथन, 25 सितंबर 2019)
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