हल्दी वायदा (दिसंबर) की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ कारोबार करने की संभावना है और कीमतों 5,850 के स्तर पर बाधा के साथ 5,750-5,700 रुपये तक गिरावट हो सकती है।
पर्याप्त कैरीओवर स्टॉक के बीच मजबूत माँग के अभाव के कारण कीमतों में नरमी का रुझान है। हाजिर बाजारों में कारोबारी गुणवत्ता के आधार पर हल्दी का भाव लगा रहे हैं। पिछले कुछ महीनों से मध्यम गुणवत्ता वाली हल्दी बिक्री के लिए आ रही है। खरीदार कारोबारी, जिन्हे स्थानीय माँग और कुछ घरेलू माँग मिल रही हैं, वे सावधानी से भाव लगा रहे हैं। किसान मौजूदा कीमतों को लेकर नाखुश हैं, जबकि कारोबरी हल्दी की सीमित खरीदारी कर रहे हैं। अधिकांश कारोबारियों को अभी तक नयी माँग नहीं मिली है, न ही स्थानीय हल्दी पाउडर इकाइयों और मसाला फर्मों की ओर से माँग हुई है।
जीरा वायदा (दिसंबर) की कीमतों में तेजी का रुझान है और निचले स्तर पर खरीदारी 14,300 रुपये के करीब उभर सकती है, जो 14,500 रुपये के स्तर तक बढ़त दर्ज कर सकती है। गुजरात और राजस्थान के प्रमुख बाजारों में आपूर्ति कम होने के साथ अधिक खरीदारी का सेंटीमेंट है। विदेशी ऑर्डर भी अच्छा हैं और दिवाली के त्यौहार के मौके पर खरीदारी बढ़ रही है। दूसरी ओर, बेहतर निर्यात माँग के बीच गुजरात और राजस्थान से आपूर्ति कम बनी हुई है। विश्व बाजार में भी, भारत एकमात्रा आपूर्तिकर्ता है। तुर्की और सीरिया से सस्ती आपूर्ति नहीं हो रही है।
धनिया वायदा (दिसंबर) की कीमतों पर बिक्री का दबाव बढ़ने की उम्मीद है और कीमतों के 6,530-6,730 रुपये के दायरे में सीमित कारोबार करने की संभावना है। त्योहारों के मौसम के बावजूद सेंटीमेंट कमजोर है, क्योंकि घरेलू खरीदारों से माँग में कोई बड़ी तेजी नहीं देखी जा रही है। इसके अलावा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के उत्पादक क्षेत्रों में अगली फसलों के लिए बुवाई शुरू हो गयी है। यह देखते हुये, खुदरा स्टोर मालिक, मिलों जैसे बड़े खरीदार इस समय किसी भी भारी खरीद से बच रहे हैं। (शेयर मंथन, 10 नवंबर 2020)
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