कॉटन वायदा (नवम्बर) की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 19,600-19,900 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
माँग के अनुमानों से मजबूत संकेत मिल रहा है कि 2020-2021 में भारत के कपास का निर्यात एक साल पहले की तुलना में 40% बढ़कर 7 मिलियन बेल हो सकता है, जो सात साल में सबसे अधिक है, क्योंकि रुपये के कमजोर होने और वैश्विक बाजार में कीमतों में बढ़ोतरी होने से निर्यातकों को निर्यात कॉन्टैंक्ट की अनुमति मिली है। वैश्विक कीमतों में रिकवरी से नये सीजन में भारतीय कपास का निर्यात एक साल पहले के 5 मिलियन बेल से बढ़कर 7 मिलियन बेल हो सकता है। अधिकांश निर्यात चीन और बांग्लादेश की को हो रहे हैं। अक्टूबर में कारोबारियों ने 700,000 बेल का निर्यात किया और नवंबर में निर्यात के लिए 1 मिलियन बेल के अन्य कॉन्टैंक्टों पर हस्ताक्षर किया है।
चना वायदा (दिसंबर) की कीमतों के 5,250-5,450 रुपये के दायरे में स्थिर कारोबार करने की संभावना है, और कीमतों की बढ़त पर रोक लगी रह सकती है। कारोबारी कीमतों की दिशा को समझने के लिए नेफेड द्वारा निविदाओं को खारिज या मंजूरी पर नजर रख रहे हैं। राजस्थान कृषि विभाग के अनुसार इस वर्ष राज्य में 3 नवंबर, 2020 तक चना की बुआई लगभग 52% अधिक हुई है और कुल उत्पादन क्षेत्रा पिछले वर्ष की समान अवधि के 5,77,400 हेक्टेयर की तुलना में 8,80,100 हेक्टेयर हो गया है जबकि जलाशयों में पर्याप्त जल की उपलब्धता गुजरात में दलहन की बुआई भी बेहतर ढंग से शुरू हुई है।
ग्वारसीड वायदा (दिसंबर) की कीमतें 4,250-4,400 रुपये के दायरे में स्थिर रह सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (दिसंबर) की कीमतें 6,500-6,900 रुपये के दायरे में स्थिर रह सकती है। राजस्थान के ग्वारगम और ग्वारसीड बाजार बहुत उत्सुकता से अमेरिकी चुनाव पर नजर गड़ाये हुये हैं क्योंकि ग्वारगम बाजार के भविष्य के लिए अधिक उपयुक्त है क्योंकि वह कच्चे तेल की खोज सहित विभिन्न औद्योगिक गतिविधियों में रासायनिक उपयोग को हतोत्साहित करेगा और ग्वारगम की माँग को आगे बढ़ायेगा। (शेयर मंथन, 09 नवंबर 2020)
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