कॉटन वायदा (नवम्बर) की कीमतों को 19,970 रुपये के स्तर पर सहारा रहने की संभावना है।
भारतीय कपास वर्तमान में दुनिया में सबसे सस्ती है और इससे निर्यातकों के लिए नयी संभावनाएं पैदा हुई हैं। बांग्लादेश और चीन जैसे पारंपरिक बाजारों के अलावा, व्यापारियों को निर्यात के लिए तुर्की, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे बाजारों पर भी नजर है। दूसरी बात यह है कि महाराष्ट्र के प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में बारिश के कारण कपास के पौधे सड़ने लगे हैं, जिससे बहुत सी उपज बेकार हो गयी है। आईसीई में कॉटन वायदा की कीमतें तीन सप्ताह के उच्च स्तर पर पहुँच गयी है और पाँच हफ्ते में सबसे बड़ी साप्ताहिक बढ़त की ओर अग्रसर है, क्योंकि फाइजर द्वारा कोविड-19 वैक्सीन के लिए प्राधिकरण प्राप्त करने के कदम से आर्थिक सुधार और माँग में तेजी आने की उम्मीद बढ़ गयी।
चना वायदा (दिसंबर) की कीमतें 5,180-5,280 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है और कीमतों में प्रत्येक मामूली वृद्धि के बाद बिकवाली दबाव बढ़ सकता है। चना की बेहतर बाजार कीमतों के कारण चना के बुआई क्षेत्रों में 30 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी किये गये आँकड़ों के अनुसार रबी सीजन की बुआई 265 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल समान अवधि में कुल बुआई लगभग 242 लाख से 10 प्रतिशत अधिक है। पिछली रबी के समान अवधि के मुकाबले इस मौसम में मध्य प्रदेश में 5.4 लाख हेक्टेयर और पंजाब में 2.5 लाख हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज की गयी।
ग्वारसीड वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 3,900 रुपये तक गिरावट हो सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 5,900-5,800 रुपये तक गिरावट हो सकती है। राजस्थान, हरियाणा और गुजरात में हाजिर कीमतों में नरमी देखी जा रही है। वर्तमान परिदृश्य में, कमजोर निर्यात माँग, कच्चे तेल और वैश्विक अर्थव्यवस्था की धुंधली तस्वीर और ग्वारसीड की आवक के कारण कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। (शेयर मंथन, 24 नवंबर 2020)
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