हल्दी वायदा ((अप्रैल) की कीमतों के 5,900-6,000 रुपये के दायरे में कारोबार करने की उम्मीद है।
कोरोना वायरस के बाद, प्रतिरक्षा 2020 में सबसे अधिक खोजा जाने वाला मुख्य शब्द रहा है। घातक वायरस से लड़ने के लिए, अपने शरीर की प्रतिरक्षा को मजबूत रखना दुनिया भर के लोगों के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता रही है और हल्दी शक्तिशाली प्रतिरक्षा बूस्टर साबित हुई है। इसलिए, इस मसाले की माँग लगातार बनी रही है और अधिक कैरीओवर स्टॉक के दबाव की भरपायी करती रही है।
हाजिर बाजारों में नरमी के रुझान पर जीरा वायदा (अप्रैल) की कीमतों के 12,600-12,800 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। गुजरात में जैसे-जैसे सीजन आगे बढ़ रहा है, रबी की बुवाई में बढ़ोतरी का सिलसिला लगातार जारी है। 2020-21 सीजन में 28 दिसम्बर तक गुजरात में जीरा की कुल बुआई 4,64,469 हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले वर्ष समान अवधि में 4,35,657 हेक्टेयर और राज्य में तीन साल के औसत 4,06,141 हेक्टेयर से भी अधिक है। पर्याप्त कैरीओवर स्टॉक के बीच निर्यात माँग में कमी के कारण कीमतों में कमी आने की संभावना है। घरेलू स्टॉकिस्टों की ओर से भी माँग में कमी आयी है क्योंकि बाजार में नयी फसलों की आवक का इंतजार है। इस बीच, इस साल बेहतर बुवाई की संभावनाओं से कीमतों पर दबाव पड़ रहा है।
धनिया वायदा (जनवरी) की कीमतों के 5,700-5,900 रुपये के सीमित दायरे में कारोबार करने की संभावना है और कीमतों की बढ़त पर रोक लगी रह सकती है। राजस्थान की मंडियों में नयी फसल की उच्च आवक हो रही हैं, और इसकी नमी के अनुसार कीमतें तय की जा रहा है। बढ़ती आवक ने पुराने स्टॉक की वृद्धि को रोक दिया है और मसाला मिलों की ओर से माँग कमजोर है। कोविड की स्थिति के कारण मध्य पूर्व से माँग बाधित होने से जनवरी में माँग कम होने के कारण निर्यातक इंतजार और निगरानी करने रहे है। गुजरात के कृषि विभाग के अनुसार राज्य में धनिया की बुआई अधिक हुई है और 4 जनवरी, 2021 तक 2020-21 में कुल बुआई क्षेत्र 138,372.00 हेक्टेयर रहा है जो 2019-20 के 82,105.00 लाख हेक्टेयर के मुकाबले लगभग 69% अधिक है। (शेयर मंथन, 08 जनवरी 2021)
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