हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों में नरमी का रुझान बरकरार रहने की संभावना है और कीमतें 7,500-7,200 रुपये तक लुढ़क सकती हैं।
कई मंडियों में नयी फसल की बढ़ती आवक के बीच कमजोर माँग के कारण प्रमुख हाजिर मंडियों में हल्दी की कीमतों में गिरावट जारी है। खबरों में, केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि निजामाबाद में हल्दी बोर्ड स्थापित नहीं किया जायेगा क्योंकि मौजूदा मसाला बोर्ड पहले से ही हल्दी सहित 50 मसालों को सँभाल रहा है। यह बताया गया कि विशेष रूप से हल्दी का कारोबार देखने के लिए निजामाबाद में मसाला बोर्ड का एक विस्तार कार्यालय स्थापित किया गया है और यह 20 फरवरी से काम करने लगा है और इसलिए अलग से हल्दी बोर्ड की कोई आवश्यकता नहीं है।
जीरा वायदा (अप्रैल) की कीमतें 14,400-15,100 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। हाजिर बाजार की राय है कि कम उत्पादन की उम्मीद से कीमतों को मदद मिल सकती है। फेडरेशन ऑफ इंडियन स्पाइस स्टेकहोल्डर्स के सर्वेक्षण के मुताबिक, 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में भारत में जीरा का उत्पादन 11% घटकर 478,520 टन (अक्टूबर-सितंबर) होने की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में गुणवत्ता की आपूर्ति में कमी तेजी का एक अहम कारक है और सीरिया में फसल की बुवाई अभी बाकी है। इसलिए संभावनायें अधिक हैं कि, भारत इस सीजन में अधिक निर्यात कर सकता है।
धनिया वायदा (अप्रैल) की कीमतों को 6,900 रुपये के पास सहारा जारी रह सकता है और कीमतें तेजी के रुझान के साथ कारोबार कर सकती है। राजस्थान की मंडियों में मसाला निर्माताओं और मसाला ब्रांडों के साथ स्थानीय खरीदार सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। कोटा, बारां और बूंदी की मंडियों में धनिया की हाजिर कीमतों में तेजी है। खाड़ी देशों से भी निर्यात माँग तेज हो रही है। 8% की नमी वाली नयी धनिया बाजारों में अपनी जगह बना रही है और माँग भी अधिक है। (शेयर मंथन, 22 मार्च 2021)
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