अधिक कीमतों पर कम माँग के कारण कॉटन वायदा (अगस्त) की कीमतों पर दबाव है। कीमतों को तत्काल अड़चन 27,100 रुपये पर है और 26,700 रुपये के स्तर पर सहारा है।
कीमतों में कुल मिलाकर नरमी का रुझान है। कम स्टॉक और कपास की नीलामी के लिए सीसीआई द्वारा कीमतों में बढ़ोतरी से कीमतों में तेजी का रुझान बना हुआ था। निजी क्षेत्र में कपास के सीमित स्टॉक के कारण घरेलू बाजार में, देश भर के अधिकांश राज्यों में कताई मिलें सीसीआई से बड़ी मात्रा में कपास खरीद रही हैं। नये सीजन की कपास अक्टूबर के महीने में ही आयेगी। वर्तमान में, अनियमित वर्षा वितरण के कारण पिछले वर्ष की तुलना में बुवाई का रकबा लगभग 10 लाख हेक्टेयर कम है, लेकिन पिछले 5 वर्षों (107.30 लाख हेक्टेयर) के औसत से अधिक है।
उच्च स्तर पर मुनाफा वसूली से ग्वारसीड वायदा (अगस्त) की कीमतों में कल गिरावट दर्ज की गयी। अब कीमतों को 4,720 रुपये पर तत्काल बाधा है और यदि कीमतें इस स्तर को पार करती है तो यह 4,800 रुपये तक बढ़ सकती है। फीड सेक्टर से माँग बढ़ने और किसानों के पास स्टॉक कम होने से बढ़ोतरी की उम्मीद है। पशुओं के चारे के लिए इसके डेरिवेटिव चुरी और कोरमा के लिए ग्वारसीड की माँग बढ़ रही है क्योंकि अन्य चारा विकल्प की कीमतें अधिक हैं। राजस्थान में 2 अगस्त को ग्वारगम का रकबा 16 लाख हेक्टेयर था, इसलिए लगभग 60% क्षेत्र में बुवाई पूरी हो गयी है।
चने वायदा (अगस्त) की कीमतों में लगातार पाँचवे दिन गिरावट हुई है और कीमतें यदि 4,940 रुपये से नीचे टूटती है तो 4,900 रुपये के स्तर की ओर गिरावट की उम्मीद है। हाजिर बाजारों में कम माँग के कारण चना की कीमतों में गिरावट हुई है। स्टॉक लिमिट ऑर्डर में बदलाव के बाद स्टॉकिस्ट की ओर से स्थिर माँग हो रही है। इसके अलावा, नेफेड विभिन्न राज्यों में खरीदे गये चना स्टॉक को अधिक कीमतों पर बेचने के के लिए सक्रिय है। (शेयर मंथन, 06 अगस्त 2021)
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