हल्दी वायदा (दिसंबर) की कीमतों में कल 0.4% की गिरावट दर्ज की गयी है। लेकिन कीमतें तेजी के रुझान के साथ 7,430 रुपये के सहारा के साथ 7,600 रुपये के स्तर पर पहुँच गयी है।
तेलंगाना में कम उत्पादन क्षेत्र और बेमौसम बारिश के कारण हल्दी का उत्पादन अनुमान से कम होने की आशंका से कीमतों में गिरावट पर रोक लग सकती है। निर्यात माँग बेहतर रहने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 6 महीनों (अप्रैल-सितंबर) में, निर्यात पिछले साल के मुकाबले 26% घटकर 77,250 टन हो गया, लेकिन अभी भी 5 साल के औसत के बराबर है जबकि कीमतें इस वर्ष में वर्ष-दर-वर्ष 30% अधिक हैं।
जीरा वायदा (दिसंबर) की कीमतों में कल 0.8% की गिरावट दर्ज की गयी और कीमतें 16,300 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 15,900 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है। घरेलू और निर्यात दोनों मोर्चे से माँग बढ़ी है और आगे भी बढ़ने की उम्मीद है। इस सीजन में सीरिया और तुर्की में खराब मौसम के कारण के कारण जीरा का उत्पादन कम हुआ है, जिससे भारतीय जीरे की माँग बढ़ गयी है। फिर भी अप्रैल-सितंबर में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 14% घटकर 1.39 लाख टन रह गया है, लेकिन आगामी महीनों में इसमें सुधार की उम्मीद है। यद्यपि गुजरात में जीरा क्षेत्र में बढ़ोतरी जारी है जबकि पुराने स्टॉक बाजार में बड़ी मात्रा में उपलब्ध होंगे।
धनिया वायदा (दिसंबर) की कीमतें सपाट बंद हुई। अब कीमतें नरमी के रुझान के साथ 8,300-8,700 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। अच्छी माँग और कम आवक के बीच कोटा में धनिया की कीमतों में मामूली बदलाव हुआ है। कारोबारी दक्षिण और पूर्वी भारत से धनिया की कुछ खरीदारी कर रहे हैं। अप्रैल-सितंबर की अवधि के दौरान निर्यात पिछले वर्ष की समान अवधि के 28,000 टन की तुलना में 12.7% घटकर 24,500 टन रह गया है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 11% अधिक है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में देर से हुई मानसूनी बारिश से आने वाले सीजन में धनिया की फसल का अच्छा रकबा देखने को मिलेगा। (शेयर मंथन, 17 नवंबर 2021)
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