हल्दी वायदा (दिसंबर) की कीमतें कल सपाट बंद हुई है और अब कीमतें 7,430 रुपये के स्तर पर सहारा और 7,665 रुपये के स्तर पर अड़चन के साथ एक दायरे में कारोबार कर सकती है।
देश के दक्षिणी हिस्सों में लगातार बारिश से फसल खराब होने की आशंका जताई जा रही है। निर्यात के मोर्चे पर, मौजूदा वित्त वर्ष में तुलनात्मक रूप से कम निर्यात हुआ है, लेकिन आगे बढ़ोतरी की संभावना है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 6 महीनों (अप्रैल-सितंबर) में, निर्यात पिछले साल के मुकाबले 26% घटकर 77,250 टन हो गया, जबकि कीमतें इस वर्ष में वर्ष-दर-वर्ष 38%-40% अधिक हैं।
जीरा वायदा (दिसंबर) की कीमतों में कल बढ़ोतरी हुई है। कीमतें 1,6150 रुपये के स्तर पर बाधा और 15,850 पर सहारा के साथ कारोबारक कर सकती हैं। हाजिर बाजार में बेहतर आवक की उम्मीद है क्योंकि गुजरात में जीरा के उत्पादन क्षेत्र में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। 29 नवंबर तक, गुजरात में जीरा का रकबा केवल 63,144 हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल समान अवधि में 1.71 लाख हेक्टेयर था, जबकि राजस्थान में 3.20 लाख हेक्टेयर में जीरा बोया गया था। इस सीजन में सीरिया और तुर्की में खराब मौसम के कारण के कारण जीरा का उत्पादन कम हुआ है, जिससे भारतीय जीरे की माँग बढ़ गयी है। अप्रैल-सितंबर में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 1% घटकर 2.07 लाख टन हो गया है, लेकिन आगामी महीनों में इसमें सुधार की उम्मीद है।
धनिया वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 6 साल के उच्च स्तर से गिरावट देखी गयी है। अब कीमतों के 8,400 रुपये के स्तर पर सहारा और 8,820 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ एक दायरे में कारोबार कर सकती है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में बुवाई जारी है, जबकि निर्यात अधिक गति से नहीं बढ़ रहा है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार निर्यात अप्रैल-सितंबर की अवधि के दौरान पिछले साल के 28,000 टन से 12.7 फीसदी घटकर 24,500 टन हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 11% अधिक है। (शेयर मंथन, 30 नवंबर 2021)
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