हल्दी वायदा (दिसंबर) की कीमतें पिछले सप्ताह 3 महीने के उच्च स्तर 8,140 रुपये पर पहुँच गयी, लेकिन फिर तेज गिरावट के साथ 7,500 रुपये के स्तर पर आ गयी।
अब कीमतें तेजी के रुझान के साथ 7,350 रुपये के स्तर पर सहारा और 7,700 रुपये के स्तर पर अड़चन के साथ कारोबार कर सकती है। देश के दक्षिणी हिस्सों में लगातार बारिश से फसल खराब होने की आशंका जताई जा रही है। निर्यात के मोर्चे पर, मौजूदा वित्त वर्ष में तुलनात्मक रूप से कम निर्यात हुआ है, फिर भी 5 साल के औसत के बराबर है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 6 महीनों (अप्रैल-सितंबर) में, निर्यात पिछले साल के मुकाबले 26% घटकर 77,250 टन हो गया, जबकि कीमतें इस वर्ष में वर्ष-दर-वर्ष 38%-40% अधिक हैं।
जीरा वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 2 साल के उच्च स्तर से 6 सप्ताह में पहली साप्ताहिक गिरावट हुई है। कीमतें 16,350 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 15,200 स्तर तक लुढ़क सकती हैं। हाजिर बाजार में बेहतर आवक की उम्मीद है क्योंकि गुजरात में जीरा के उत्पादन क्षेत्रा में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। 23 नवंबर तक, गुजरात में जीरा का रकबा केवल 63,144 हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल समान अवधि में 1.68 लाख हेक्टेयर था, जबकि राजस्थान में 3.20 लाख हेक्टेयर में जीरा बोया गया था। इस सीजन में सीरिया और तुर्की में खराब मौसम के कारण के कारण जीरा का उत्पादन कम हुआ है, जिससे भारतीय जीरे की माँग बढ़ गयी है। अप्रैल-सितंबर में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 1% घटकर 2.07 लाख टन हो गया है, लेकिन आगामी महीनों में इसमें सुधार की उम्मीद है।
धनिया वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 6 साल के उच्च स्तर से गिरावट देखी गयी है, फिर भी कीमतें लगातार तीसरे सप्ताह बढ़त के साथ बंद हुई। कीमतों को 8,500 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है और इन स्तरों को पार करने के बाद कीमतें 8,200 रुपये तक लुढ़क सकती है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में बुवाई जारी है, जबकि निर्यात अधिक गति से नहीं बढ़ रहा है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार निर्यात अप्रैल-सितंबर की अवधि के दौरान पिछले साल के 28,000 टन से 12.7 फीसदी घटकर 24,500 टन हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 11% अधिक है। (शेयर मंथन, 29 नवंबर 2021)
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