पिछले सप्ताह हल्दी वायदा (दिसंबर) की कीमतों में तेज गिरावट हुई और फिर थोड़ी रिकवरी के बावजूद गिरावट के साथ बंद हुई।
अब कीमतें 6,885 रुपये पर सहारा और 8,000 रुपये पर बाधा के साथ एक दायरे में कारोबार कर सकती है। वर्तमान में कीमतें इस वर्ष में वर्ष-दर-वर्ष 33% अधिक हैं क्योंकि देश के दक्षिणी हिस्सों में लगातार बारिश के कारण फसल के नुकसान की आशंका है, लेकिन निर्यात के अभाव से कीमतों पर दबाव बना हुआ है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 6 महीनों (अप्रैल-सितंबर) में, पिछले साल के मुकाबले 26% घटकर 77,250 टन निर्यात हुआ है, लेकिन अभी भी 5 साल के औसत के बराबर है।
हाजिर बाजारों में कमजोर खरीदारी के कारण जीरा वायदा (दिसंबर) की कीमतों में लगातार दूसरे सप्ताह गिरावट हुई है और कीमतों में 15,900 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 15,000 रुपये के स्तर तक गिरावट होने की संभावना है। निर्यात माँग में कमी हुई है क्योंकि कीमतें 2 साल के उच्च स्तर के करीब है। 29 नवंबर तक, गुजरात में जीरा का रकबा केवल 1.71 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल समान अवधि में 3 लाख हेक्टेयर था, जबकि राजस्थान में 3.20 लाख हेक्टेयर में जीरा बोया गया था। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-सितंबर में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 1.4% घटकर 1.39 लाख टन रह गया है लेकिन आने वाले महीनों में इसमें सुधार की उम्मीद है। बुवाई में अच्छी प्रगति और राजस्थान के भौतिक बाजारों में कमजोर माँग के कारण धनिया वायदा (दिसंबर) की कीमतों में पिछले सप्ताह इस साल सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट देखी गयी। अब कीमतों के 8,172 रुपये पर सहारा और 8,900 रुपये पर बाधा के साथ एक दायरे में कारोबार करने की उम्मीद है।
राजस्थान, गुजरात औरमध्य प्रदेश में बुवाई प्रगति पर है और बुवाई क्षेत्र में सुधार हो रहा है। गुजरात में 29 नवंबर तक धनिया का रकबा 86,600 हेक्टेयर आंका गया है जो सामान्य क्षेत्रा की तुलना में 100% है लेकिन पिछले साल यह 93,000 हेक्टेयर था। सरकारी आँकड़ों के अनुसार निर्यात अप्रैल-सितंबर की अवधि के दौरान पिछले साल के 28,000 टन से 12.7 फीसदी घटकर 24,500 टन हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 11% अधिक है। (शेयर मंथन, 06 दिसंबर 2021)
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