कॉटन वायदा (जनवरी) की कीमतें लगातार तीसरे सप्ताह बढ़त के साथ बंद हुई क्योंकि ओमाइक्रोन की चिंता कम होने से आईसीई में कॉटन वायदा कीमतों में तेजी दर्ज की गयी।
अब कीमतों के 31,720 रुपये पर सहारा के साथ 32,500 रुपये से ऊपर बने रहने पर 33,250 तक बढ़ोतरी दर्ज करने की संभावना है। उत्पादन में कमी की आशंका और निर्यात के लिए कच्चे कपास की अधिक माँग के कारण वर्तमान समय में कपास की कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 59.5% अधिक हैं। कताई मिलों की ओर से खरीदारी बढ़ गयी है, जबकि दैनिक आवक स्थिर रही। सीएआई के आँकड़ों के अनुसार, नवंबर तक आवक लगभग 15% घटकर 77.76 लाख बेल रह गयी, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 91.57 लाख बेल आवक हुई थी। विशेषज्ञों के अनुसार, एक अक्टूबर से शुरू हो रहे इस सीजन में अब तक राज्य की मंडियों में कपास की कुल आवक पिछले साल की तुलना में कम रही है, जिसके परिणामस्वरूप मिलों के पास कपास का बचा हुआ स्टॉक कम हो गया है। चालू सीजन में, कपास की कुल उपलब्धता पिछले साल की तुलना में कम होगी, जबकि मिलों और निर्यात के लिए अधिक माँग के कारण खपत बढ़ने की उम्मीद है। यूएसडीए की नवीनतम मासिक आँकड़ों के अनुसार 2021-22 में विश्व स्तर पर कपास उत्पादन 0.18% कम होकर 121.56 मिलियन बेल रह सकता है, लेकिन भारत में कपास उत्पादन में कोई बदलाव नहीं हुआ।
भौतिक माँग में बढ़ोतरी के कारण ग्वारसीड वायदा (जनवरी) की कीमतों में तेजी दर्ज की गयी जबकि आपूर्ति पिछले साल की तुलना में कम है। कीमतों के 5,900 रुपये पर सहारा के साथ 6,700 रुपये के स्तर तक कारोबार करने की उम्मीद है। इस महीने कीमतें 2 महीने के निचले स्तर पर आ गयी हैं, जो बाजारों में भौतिक आवक कम हुई हैं। वर्तमान में, कम उत्पादन, कई वर्षो में कम स्टॉक और अच्छी निर्यात माँग की संभावना से कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 50% अधिक हैं। अक्टूबर में, ग्वारगम का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 60% बढ़कर 27,150 टन हो गया, जबकि 2021-22 (अप्रैल-सितंबर) में निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 46% बढ़कर 1.85 लाख टन हो गया लेकिन अभी भी पूर्व-कोविड स्तरों तक नहीं पहुँचा है। (शेयर मंथन, 27 दिसंबर 2021)
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