बुलियन काउंटर लगातार चौथे साप्ताहिक गिरावट की ओर अग्रसर था। फेड की सख्त नीति के बीच बढ़ती यील्ड, प्रोत्साहन में कमी और ओमाइक्रोन को लेकर बढ़ते डर सोने की कीमतों में गिरावट हुई।
स्टीमुलस में कमी और ब्याज दरों में बढ़ोतरी से सरकारी बॉन्ड की यील्ड अधिक होती है, जिससे सोना रखने की अवसर लागत बढ़ जाती है, जिस पर कोई ब्याज नहीं होता है। केंद्रीय बैंकों की सख्त नीति पर वापस जाने के कारण, जिससे अमेरिकी डॉलर में मजबूती की संभावना है, सोने की कीमतों में किसी भी तेजी के सीमित होने की संभावना है। साथ ही सोने पर ट्रजरी यील्ड बढ़ने का दबाव भी पड़ रहा है, लेकिन यील्ड में तेजी काफी सीमित है। निवेशक अब इस हफ्ते में फेड पॉलिसी की बैठक का इंतजार कर रहे हैं। सोने की कीमतें 1,770-1,810 डॉलर के दायरे में निचले स्तर पर कारोबार कर रही है क्योंकि निवेशक फेड की ओर से आक्रमक नीति को लेकर चिंतित हैं, लेकिन ओमिक्रॉन संस्करण को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है, जिससे दरों की बढ़ोतरी देरी हो सकती है और सोने की कीमतों को मदद मिल सकती है। 2022 में बाजार पहले से ही तीन दरों में बढ़ोतरी का अनुमान कर रहा हैं, इसलिए एक आक्रामक नीति की संभावना अधिक है और यही कारण है कि लंबी अवधि में सोने के निवेशक प्रोत्साहनों में कटौती को लेकर इतने चिंतित नहीं हैं, जबकि यह निकट अवधि में सोने की कीमतों पर दबाव डाल सकता है।
निवेशकों की नजर पिछले सप्ताह अमेरिकी बेरोजगार दावों पर भी रही, जो पिछले सप्ताह 52 से अधिक वर्षों में अपने निम्नतम स्तर पर पहुँच गया क्योंकि श्रमिकों की तीव्र कमी के बीच श्रम बाजार की स्थिति बेहतर बनी रही। इस सप्ताह सोने की कीमतों में नरमी का रुझान रह सकता है। वर्तमान में, 48,400 रुपये के अल्पकालिक रुकावट के पास कारोबार कर रहा है और इस स्तर से ऊपर जाने पर 49,500 रुपये पर मजबूत बाधा है। दूसरी कीमतों को 45,800 रुपये के पास सहारा रह सकता है। चांदी की कीमतें 58,000-62,000 रुपये के व्यापक दायरे में कारोबार कर सकती है। (शेयर मंथन, 15 दिसंबर 2021)
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